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संस्कार-संस्कृति वाणी में नहीं आचरण में झलके : गुरुदत्त

मुजफ्फरनगर : आर्य समाज ढि़ंढ़ावली के तीन दिवसीय वार्षिकोत्सव के समापन पर आर्य समाज की विभूतियों के स

By Edited By: Published: Tue, 06 Oct 2015 11:40 PM (IST)Updated: Tue, 06 Oct 2015 11:40 PM (IST)
संस्कार-संस्कृति वाणी में नहीं आचरण में झलके : गुरुदत्त

मुजफ्फरनगर : आर्य समाज ढि़ंढ़ावली के तीन दिवसीय वार्षिकोत्सव के समापन पर आर्य समाज की विभूतियों के साथ-साथ उदीयमान पहलवान दिव्या सैन को सम्मानित किया गया। आचार्य गुरुदत्त आर्य ने कहा कि संस्कार व संस्कृति वाणी में नहीं आचरण में झलकनी चाहिए।

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आर्य वैदिक कन्या इंटर कालेज ¨ढढावली में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुश्ती में कई पदक हासिल कर चुकी गांव पुरबालियान की बेटी दिव्या सैन का संस्था की ओर से अभिनन्दन किया गया। दिव्या सैन ने कहा कि गांव की बेटियां हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा से राष्ट्र का गौरव बढ़ा रही हैं। स्कूली स्तर पर खेलों एवं अन्य गतिविधियों में छात्राओं को भी पर्याप्त अवसर मिलने चाहिए। महिला कुश्ती में छात्राएं चमक सकती हैं। आर्य समाज ढि़ंढ़ावली की ओर से दिव्या को सत्यार्थ प्रकाश, महर्षि दयानन्द का जीवन ग्रंथ और नगद पारितोषिक दिया गया। दिव्या ने छात्राओं के साथ अपने कुश्ती कैरियर के यादगार क्षणों की चर्चा भी की।

आर्य प्रतिनिधि सभा के प्रांतीय प्रधान एवं मुख्य अतिथि देवेन्द्र पाल वर्मा ने कहा कि युवा शक्ति को आर्य समाज से जुड़ना चाहिये, तभी समाज में वैदिक संस्कृति और महर्षि दयानन्द के कार्यों को आगे बढ़ाया जा सकता है। आर्य समाज के सिद्धांतों से ही देश में एकता, शांति और समृद्धि कायम होगी। महर्षि दयानन्द के जीवन चरित्र से युवा पीढ़ी प्रेरणा ले।

वानप्रस्थी लक्ष्मीचंद आर्य ने कहा कि यज्ञ संस्कृति गांव-गांव में फैलेगी, तभी समाज सुधार होगा। संस्कार चेतना अभियान के संयोजक आचार्य गुरूदत्त आर्य ने कहा कि संस्कार और संस्कृति केवल वाणी में नहीं, आचरण में झलकनी चाहिये। आचरण ही प्रत्येक प्राणी के जीवन की कसौटी है। शुक्रताल के स्वामी सत्यमुनि ने कविता और भजनों के माध्यम से अंधविश्वास तथा अन्य सामाजिक कुरीतियों के उन्मूलन की चेतना जगायी। केन्द्रीय कृषि राज्यमंत्री डा.संजीव बालियान ने आर्य समाज की विभूतियों वानप्रस्थी आर्य मुनि मेरठ, आचार्य गुरूदत्त आर्य, स्वामी कर्मवेश, आचार्य अजीत कुमार दिल्ली, डा. महेन्द्र ¨सह शास्त्री सोहजनी, स्वामी सत्यमुनि को सम्मानित किया। छात्राओं ने नाटक, गीत और कविता के माध्यम से दहेज प्रथा, अंधविश्वास और समाजोत्थान में आर्य समाज के योगदान की प्रस्तुति दी। प्रबंधक संसार ¨सह आर्य, डा.रविन्द्र कुमार आर्य, चरण¨सह आर्य ने आभार जताया। भूपति आर्य, सहदेव ¨सह, सचिन शर्मा, हरकिशन ¨सह चैधरी, प्रधानाचार्या कौशल्या देवी, सतीश कुमार आर्य, प्रधान ऋतु रानी, जगपाल ¨सह, सचिन आर्य, संजीव आर्य, ऋषिपाल ¨सह आर्य आदि का सहयोग रहा।


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