संत जीवन के पथिक थे गुलजारी लाल
भोपा (मुजफ्फरनगर) : पौराणिक भागवत पीठ श्री शुकदेव आश्रम से पूर्व प्रधानमंत्री गुलजारी लाल नंदा का भा
भोपा (मुजफ्फरनगर) : पौराणिक भागवत पीठ श्री शुकदेव आश्रम से पूर्व प्रधानमंत्री गुलजारी लाल नंदा का भावनात्मक लगाव रहा है। तीर्थो के विकास और भारतीय संस्कृति के संवर्द्धन में वीतराग स्वामी कल्याणदेव को श्री नंदा का आत्मीय सहयोग मिला था। शिक्षाऋषि के प्रति उनकी अटूट श्रद्धा और स्नेह बना रहा, जिसकी स्मृतियां आज भी भुलाए नहीं भूलती हैं। स्वामी कल्याणदेव ने पूर्व प्रधानमंत्री को संत जीवन का पथिक बताया था।
पूर्व प्रधानमंत्री एवं स्वतंत्रता सेनानी गुलजारी लाल नंदा की आज 117वीं जयंती है। 4 जुलाई, 1898 को अविभाजित भारत के सियालकोट में जन्मे नंदा का शुकतीर्थ से करीबी लगाव रहा। श्री शुकदेव मन्दिर में मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा 27 अप्रैल, 1956 को स्वामी अखंडानंद सरस्वती के सानिध्य में की गई, जिसमें स्वामी कल्याण देव के बुलावे पर तत्कालीन गृहमंत्री गुलजारी लाल नंदा आए थे। स्वामीजी ने नंदा को सन्त जीवन का पथिक बताया। हरिद्वार, कुरुक्षेत्र, हस्तिनापुर और शुक्रताल के विकास में नंदा कभी भी सन्त के आग्रह को नहीं टालते थे। वर्ष 1983 में 9 मार्च को शहर में विराट हिन्दू सम्मेलन आयोजित किया गया। शिक्षाऋषि की प्रेरणा से देवबंद के स्वामी ब्रह्मानंद ने पूर्व प्रधानमंत्री नंदा से अध्यक्षता का निवेदन किया, जिसे उन्होंने सहर्ष स्वीकारा। श्री शुकदेव आश्रम के पीठाधीश्वर स्वामी ओमानन्द महाराज बताते हैं कि गुरुदेव ने गुलजारी लाल नंदा के साथ मिलकर कुरूक्षेत्र के विकास की कार्य योजना क्रियान्वित की थी। गुजरात के अहमदाबाद में वृद्धावस्था में अंतिम बार स्वामी जी और नंदा की भेंट हुई थी, तब तक नंदा की स्मरण शक्ति कम होने लगी थी। वर्ष 2001 में 7 जुलाई को दिल्ली के सचिवालय हॉल में नंदा नैतिक दिवस मनाया गया, जिसमें स्वामी जी ने नंदा के जीवन से जुड़े मूल्यों की प्रेरणा दी। तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित और पूर्व केंद्रीय मंत्री मोहसीना किदवई भी उपस्थित रही।
शिक्षा ऋषि को मिला पहला नंदा नैतिक सम्मान
भोपा : नैतिकता की पुनस्र्थापना हेतु गुलजारी लाल नंदा फाउंडेशन ने पहले नैतिक पुरस्कार के लिए शिक्षाऋषि स्वामी कल्याणदेव महाराज को चुना। 17 अगस्त, 1994 में राष्ट्रपति भवन में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. शंकर दयाल शर्मा ने स्वामी जी को यह सम्मान प्रदान किया था। नंदा वर्ष 1957 में वह श्रम, रोजगार और योजना विभाग के केंद्रीय मंत्री रहे। नंदा को पंडित नेहरू के निधन के बाद 27 मई, 1964 और ताशकंद में लाल बहादुर शास्त्री के देहावसान के बाद 11 जनवरी, 1966 को देश का कार्यवाहक प्रधानमंत्री बनाया गया था।