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चौधरी साहब की सादगी का कायल है मुजफ्फरनगर

मुजफ्फरनगर : किसानों के मसीहा पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण¨सह के संघर्ष, सादगी और दूरदर्शिता की याद

By Edited By: Published: Fri, 29 May 2015 12:04 AM (IST)Updated: Fri, 29 May 2015 12:04 AM (IST)
चौधरी साहब की सादगी का कायल है मुजफ्फरनगर

मुजफ्फरनगर : किसानों के मसीहा पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण¨सह के संघर्ष, सादगी और दूरदर्शिता की यादें जिले की माटी में आज भी रची बसी हैं। देश की संसद में गांव, गरीब और अन्नदाता की आवाज बने चौधरी साहब को यहां के चौपालों और सियासी हलकों में बड़े अदब से याद किया जाता है। प्रधानमंत्री जैसे ओहदे तक पहुंचे चौधरी साहब ग्रामीणों और किसानों के बीच पंगत में बैठकर भोजन कर लिया करते थे।

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मूल रूप से बागपत जिले के गांव बावली निवासी लक्ष्मण ¨सह ने जिला मुजफ्फरनगर को अपनी कर्मस्थली बनाया। चौधरी साहब का नाम सुनते ही अस्सी वर्षीय लक्ष्मण ¨सह के चेहरे पर एक नया उत्साह नजर आने लगता है। पुराने दौर में खो जाते हैं। बताते हैं कि मेरठ कालेज से एलएलबी करने के बाद वकालत शुरू की। चौधरी साहब ने वर्ष 1974 में खतौली विधानसभा क्षेत्र से टिकट दिया। उस समय उन्हें चुनाव लड़ाने के लिए करीब पचास हजार रुपया चंदा हुआ था। खतौली में आयोजित सभा में यह धन चौधरी साहब के हाथों से उन्हें प्राप्त होना था, लेकिन चौधरी साहब ने यह धन उन्हें न देकर सुरक्षित सीटों पर चुनाव लड़ रहे दो उम्मीदवारों को भेजने के निर्देश दिए। कहा कि आपकी वकाच्त अच्छी चल रही है, अपनी व्यवस्था खुद करें और सादगी से चुनाव लड़ें। चौधरी साहब के निर्देशों के आधार पर वह चुनाव लड़े और जीते। पहले रामनरेश यादव और फिर बनारसी दास की सरकार में मंत्री रहे।

प्रगतिशील कृषक 85 वर्षीय चौधरी समय ¨सह बाबरी का चौधरी चरण¨सह के साथ लंबे समय तक नाता रहा। करीब चालीस साल पहले गांव लालू खेड़ी के इंटर कालेज के मैदान में आयोजित कार्यकर्ता सम्मेलन में उनके गांव, गरीब और किसान हित में दिए भाषण से सभी में जोश भर गया था। समय ¨सह सर छोटू राम कालेज की प्रबंध समिति में भी रहे। बताते हैं कि उस समय कालेज के छात्रावास का नाम जाट छात्रावास हुआ करता था। नाम बदलने का निर्णय लिया गया तो नाम चौधरी चरण¨सह छात्रावास ही रखा गया। उस मौके पर पधारे चौधरी साहब ने छात्रों को प्रेरणा दे नए उत्साह का संचार किया था। सभी के साथ पंगत में बैठकर साधारण किसान की तरह भोजन किया था। समय ¨सह बाबरी ने बताया कि पंजाब में आतंकवाद चरम पर होने के दौरान सिद्धांतों के पक्के चौधरी साहब ने आतंकियों के विरोध में बयान दिया था। इससे उनकी सुरक्षा को खतरा पैदा हो गया था। उस दौर में वह करीब डेढ़ माह दिल्ली में उनके आवास पर हथियार लेकर उनकी सुरक्षा में रहे थे। दिल्ली से लौटते समय माताजी (चौधरी साहब की धर्मपत्नी गायत्री देवी) से आग्रह कर चौधरी साहब की एक छड़ी ले आए थे। इस अमूल्य भेंट का वह कई दशकों से प्रयोग कर रहे हैं। समय ¨सह कहते हैं कि आज किसान अपनी ही फसल का मूल्य पाने को लड़ रहा है। चौधरी साहब होते तो इस समस्या का समाधान काफी पहले ही हो गया होता।

जनता इंटर कालेज में पधारे थे चौधरी साहब

भोपा: भारत के पूर्व प्रधानमंत्री एवं किसानों के मसीहा चौधरी चरण ¨सह ने स्वामी कल्याण देव के बुलावे पर कई बार आकर 'शिक्षा के महायज्ञ' में आहुति दी थी।

जनता इंटर कालेज भोपा मे 11 दिसम्बर 1967 को प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप मे आए चौधरी चरण ¨सह ने विज्ञान संकाय भवन का उद्घाटन किया था। प्रधानमंत्री बनने के बाद भी चौधरी साहब कालेज में प्रशासनिक भवन का उद्घाटन करने आए थे।

जनता इंटर कालेज के पूर्व प्रधानाचार्य महावीर ¨सह राठी बताते हैं कि कार्यक्रम में आए कार्यकर्ताओं ने चौधरी साहब से उनकी पार्टी के बारे में बोलने के लिए गुजारिश की तो उन्होंने सीधे कह दिया था कि ये कालेज का मंच है, यहां राजनीति की बात न करें।


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