'शिक्षा का सच्चा अर्थ बच्चों का चरित्र निर्माण'
मुजफ्फरनगर : आचार्य गुरुदत्त आर्य ने कहा कि शिक्षा का सच्चा अर्थ ही बच्चों का चरित्र निर्माण करना है
मुजफ्फरनगर : आचार्य गुरुदत्त आर्य ने कहा कि शिक्षा का सच्चा अर्थ ही बच्चों का चरित्र निर्माण करना है। माता-पिता एवं शिक्षक का कर्तव्य है कि बच्चों को भारतीय संस्कार, संस्कृति एवं शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक और आत्मिक विकास की शिक्षा अपने क्रियात्मक आचरण से प्रदान करें।
ग्रीन लैंड माडर्न जू. हाईस्कूल शामली रोड पर आर्यवीर दल की प्रांतीय विशाल सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता के पुरस्कार वितरण में उन्होंने कहा कि बच्चा माता-पिता का दर्पण होता है। एडीएम एफ रामकिशन शर्मा ने कहा कि मानव जीवन को ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास चार आश्रमों में बांटा गया है। प्रधानाचार्य सुरेन्द्र पाल सिंह ने कहा कि राष्ट्र के हर विद्यालय में यज्ञ, योग व वेद शास्त्रों की शिक्षा बच्चों के पाठ्यक्रम में आनी चाहिए।
सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता में जिले में तृतीय स्थान वरनेश वर्मा ने प्राप्त किया। जबकि केंद्र पर प्रथम स्थान तुषार दक्ष ने प्राप्त किया। अन्य पुरस्कृत बच्चों में रितिका चौधरी, विनीत चौधरी, नितीश चौधरी, हर्षित कुमार, शिवम सिंघल, कुनाल मलिक, श्रुति चौधरी, विशाखा, अमन कुमार, दिपांशु, जया मिश्रा, श्रेया, शशांक गौतम, विराज मलिक, मनीष मिश्रा, अनिल कुमार, कीर्ति गोयल आदि अनेक विद्यालयों के छात्र-छात्राओं को सम्मानित किया गया। कुलदीप सिवाच, स्वयंवर मलिक, अशोक कुमार आदि शामिल रहे।