मोटे मुनाफे के फेर में कचरे में पकाई जा रही ईटें
खतौली :कोयला महंगा होने के कारण खतौली क्षेत्र में लगभग तमाम ईट भट्ठों के संचालकों ने मोटे मुनाफे के
खतौली :कोयला महंगा होने के कारण खतौली क्षेत्र में लगभग तमाम ईट भट्ठों के संचालकों ने मोटे मुनाफे के लिए कोयले के विकल्प के रूप में कचरा ढूंढ़ लिया है। कचरे से ईटों को पकाने से उनकी गुणवत्ता कम हो रही है, साथ ही भट्ठे जहरीला धुआं वातावरण में घोल रहे हैं। प्रदूषण विभाग ईट भट्ठों के इस प्रदूषण पर नियंत्रण करने के नाम चुप्पी साधे है।
खतौली क्षेत्र में फिलहाल मीरापुर, फलावदा, बुढ़ाना रोड और रतनपुरी क्षेत्र में 14 ईट भंट्ठे हैं। भट्ठा संचालकों ने मंहगे कोयले से बचने और ज्यादा मुनाफे के लिए कोयले का विकल्प कचरे को बना लिया है। ईट भट्ठों पर तारकोल युक्त सड़क की खुरचन, टायर, ट्यूब, रबर व चमड़े आदि की चप्पल, लकड़ी, सरसों की तूडी, मैली आदि झोंककर ईंटों की पकाई जा रही है। इन ईटों में कोयले से पकाई गई ईटों के मुकाबले गुणवत्ता कम होती है। इसी कारण भट्ठों से निकल रहा जहरीला धुंआ वातावरण को दूषित कर रहा है। ईट भट्ठों पर झोंके जा रहे कचरे की जानकारी अफसरों को भी है, लेकिन अफसर इस ओर ध्यान नहीं दे रहे। प्रदूषण रोकने के लिए जिम्मेदार विभाग इन पर कार्रवाई के नाम पर चुप्पी साधे है। ईट का रेट 3800 प्रति हजार से लेकर 4200 होने से लोगों को ईंट खरीदना टेढ़ी खीर हो रहा है।
शीघ्र चलाया जाएगा चेकिंग अभियान: एसडीएम
इस संबंध में एसडीएम डा. वैभव शर्मा ने बताया कि कोयला व लकड़ी तथा सरसों की तूड़ी से तो ईट पकाना ठीक है, लेकिन टायर, रबड़ व तारकोल से ईट पकाना गलत है और ऐसा करने पर भट्ठा संचालकों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। जल्द ही टीम गठित कर चेकिंग अभियान चलाया जायेगा।