लाल स्याही से 'बादशाह' बन गए लेखपाल
मुजफ्फरनगर : कलक्टर की ताकत जगजाहिर है, लेकिन जिले में उजागर हुए सरकारी जमीन के बंदरबांट में लेखपाल
मुजफ्फरनगर : कलक्टर की ताकत जगजाहिर है, लेकिन जिले में उजागर हुए सरकारी जमीन के बंदरबांट में लेखपाल 'सिकंदर' साबित होते दिख रहे हैं। लाल स्याही के बूते लेखपाल बादशाह बन बैठे, जबकि हुक्मरानों की आंखों पर पट्टी बंधी रही और कलम चलती रही। कई राजस्व ग्रामों की हजारों बीघा जमीन पर लेखपालों ने लाल स्याही चलाकर बंदरबांट कर दी। इतना ही नहीं दर्जनों खसरा-खतौनी गायब कर दी, जबकि कई की मूल प्रति गुमशुदा है।
कलक्टर जिले का मालिक होता है, लेकिन अभी तक गंगा खादर इलाके के मालिक लेखपाल बने रहे। हस्तिनापुर वन्यजीव अभ्यारण्य समेत सार्वजनिक उपयोग के लिए आरक्षित ग्राम समाजों की हजारों हेक्टेयर जमीन परिजनों, रिश्तेदारों और भूमाफियाओं को बांट दी। अब एक और चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि लेखपालों ने हजारों बीघा जमीन का बंदरबांट अपने असीमित अधिकारों के चलते किया। पत्रावलियों, मूल खतौनी या खतौनी के बदलाव में पहले लिखे तथ्यों को भी अपने हिसाब से मनचाहा लिखा और जिसे जो चाहा दिया। मजलिसपुर तोफिर, हाजीपुर, जहांगीरपुर, हाजीपुर खादर, मंसुरपुर और लुकादड़ी समेत दर्जनभर गांवों की पत्रावलियों में मिली गड़बड चौंकाने वाला है।
दैनिक जागरण ने पड़ताल की तो पता चला कि चार राजस्व ग्रामों के 149 आवंटियों को 1989.525 बीघा सरकारी जमीन बांट दी, जिसमें कई बार अपर लेखन किया गया। मजलिसपुर के 27 आवंटियों को 480.57 बीघा जमीन बांटी, जबकि खतौनी में लेखपाल-कानूनगो की आख्या में नौययत वर्णित नहीं। इसके अलावा मजलिसपुर के ही करीब 333.18 बीघा जमीन की पत्रावली पर लेखपाल ने लाल स्याही से अपर लेखन किया, इसी के राजस्व ग्रामों में 137.295 बीघा जमीन पर कई जगह अपर लेखन तो किया ही, नंबरों का उद्धरण नहीं किया। मजलिसपुर में 344 आवंटियों की पत्रावली पर 490.275 बीघा जमीन अपरलेखन कर बांट दी। इसमें चार फरवरी 76 को कानूनगो की दी आख्या पर सात राजस्व ग्रामों की संख्या और क्षेत्रपर पर अपर लेखन किया, जबकि कई की खसरा-खतौनी गायब कर दी।
खतौनी की मूल प्रति ही गायब, 116 आवंटियों का क्षेत्रफल पता नहीं
जागरण के हाथ लगी रिपोर्ट में स्पष्ट है कि मजलिसपुर में 116 लोगों को सरकारी जमीन का आवंटन किया गया, जबकि इसका क्षेत्रफल तक पता नहीं चल सका। खसरा-खतौनी भी इसमें गायब है। इतना ही नहीं शुक्रताल खादर-बांगर में राजस्व निरीक्षक की आख्या में दर्ज 1.246 हेक्टैयर रकबे को ओवर राइट कर 1.359 कर दिया गया। सबसे गंभीर यह है कि शुक्रताल खादर-बांगर में करीब 228.60 बीघा जमीन की मूल पत्रावली ही गायब है।
लाल स्याही का यह
है नियम-अधिकार
खसरा-खतौनी में बदलाव लेखपाल करता है। किसी के नाम की अमल दरामद या खाते में बदलाव की जो भी प्रविष्टि लेखपाल करेगा उसमें लाल स्याही का ही इस्तेमाल किया जाता है।
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''शुक्रताल क्षेत्र की जांच रिपोर्ट में अपर लेखन की बात स्पष्ट हुई है। चिह्निकरण कर कार्रवाई की तैयारी की जा रही है।''
-कौशल राज शर्मा, जिलाधिकारी