जन्म के पहले घंटे में ही शिशु को कराएं स्तनपान
मुजफ्फरनगर : सीएमओ डा. सुबोध कुमार ने कहा कि मृत्यु दर में कमी लाने के लिए शिशुओं को बीमारी से बचाना
मुजफ्फरनगर : सीएमओ डा. सुबोध कुमार ने कहा कि मृत्यु दर में कमी लाने के लिए शिशुओं को बीमारी से बचाना जरूरी है। शिशुओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए उन्हें जन्म के पहले घंटे में ही स्तनपान जरूरी है। इसके अलावा गर्भवती को समय से टीके, संस्थागत प्रसव व प्रसव के बाद शिशु की देखभाल भी आवश्यक है।
जिला अस्पताल के रेडक्रास भवन में सीएमओ ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तत्वावधान में नवजात शिशु देखभाल सप्ताह पर आयोजित कार्यशाला में बताया कि उप्र में शिशु मृत्यु दर 50 प्रति 1000 जीवित जन्म है। भारत सरकार ने 2030 तक शिशु मृत्यु दर को नौ प्रति 1000 जीवित जन्म तक लाने का लक्ष्य रखा है।
नवजात की देखभाल
-नवजात को हमेशा कपड़ों में लपेटकर रखें
-नवजात शिशु को एक सप्ताह तक न नहलाएं, शिशु को हवा के झोंके से बचाएं।
-प्रसव के तुरंत बाद बच्चे को स्तनपान कराएं।
शिशु में खतरे के चिह्न एवं लक्षण
-बच्चे की तेज सांस या सांस लेने में कठिनाई, जन्म के 48 घंटे तक पेशाब न आना
-बच्चे का दूध न पीना, बच्चे का पेट फूलना, दस्त, पेट में मरोड़ तथा लगातार उल्टी होना
शिशु को मां का दूध-एक अमृत
-शिशु के लिए मां का दूध अनमोल एवं प्रकृति का सर्वोत्तम आहार है।
-शिशु को छह माह तक सिर्फ मां का दूध दें, इनके अलावा पानी, चूसनी, घट्टी आदि न दें।
शिशु का टीकाकरण कराएं
शिशु को आठ जानलेवा बीमारियों से बचाएं। डेढ़ माह की आयु पर डीपीटी-1, पोलियो-1 व हेपेटाइटिस बी-1 का टीका लगवाएं। ढाई माह पर डीपीटी-2, पोलियो-2 व हेपेटाइटिस बी-2, साढ़े तीन माह की आयु पर डीपीटी-3, पोलियो-3 व हेपेटाइटिस बी-3 का टीका लगवाएं। जबकि नौ माह पर खसरा का टीका-1, विटामिन ए-1, जेई-1 तथा 16 माह से दो वर्ष की आयु पर डीपीटी बूस्टर, पोलियो बूस्टर, जेई-2 व खसरे का टीका-2 लगवाएं। पांच वर्ष की आयु पर डीपीटी का टीका लगवाएं।
इस मौके पर एसीएमओ डा. एसके अग्रवाल, एसीएमओ डा. बीके ओझा, एसीएमओ डा. बीएस सांगवान, एसीएमओ डा. ज्ञानेन्द्र कुमार, पुष्पा रानी, गीतांजली वर्मा शामिल रहे।