सगोत्रीय विवाह अनैतिक व अनुचित
भोपा (मुजफ्फरनगर) : शुक्रताल के साधु-संत भी सगोत्रीय विवाह को अनैतिक व अनुचित कृत्य बताते हैं। शुकद
भोपा (मुजफ्फरनगर) : शुक्रताल के साधु-संत भी सगोत्रीय विवाह को अनैतिक व अनुचित कृत्य बताते हैं। शुकदेव पीठ के संत स्वामी ओमानंद महाराज का कहना है कि सगोत्रीय विवाह अनैतिक व अनुचित कृत्य है। इससे कुलों व सामाजिक व्यवस्था में विकृति पैदा हो जाएगी। सगोत्रीय विवाह नैतिकता के खिलाफ है।
प्राचीन दंडी आश्रम के ब्रह्मचारी गुरुदत्त जी महाराज का कहना है कि सगोत्रीय विवाह जघन्य अपराध है। समाज के लोगों को इसका कड़ा विरोध करना चाहिए।
हनुमद्धाम के पीठाधीश्वर स्वामी केशवानंद महाराज का कहना है कि भारतीय संस्कृति के अनुसार एक गोत्र में भाई बहन होते है तो उनके बीच विवाह का तो प्रश्न ही नही उठता। यह समाज पर कलंक है।
गुरुकुल आश्रम के स्वामी आनंदवेश महाराज का कहना है कि सगोत्रीय विवाह हमारी मर्यादाओं के खिलाफ है हमें इसका कड़ा विरोध करना चाहिए।
महाशक्ति सिद्ध पीठ की संचालिका परमयोगिनी मां राजनंदेश्वरी का कहना है कि एक गोत्र के व्यक्ति की जब किसी गांव में शादी होती है तो उस गांव में अपने गोत्र की लड़की होने पर वह उसके पास जाकर उसको बहन की दक्षिणा देते हैं। इसलिए सगोत्रीय विवाह बिल्कुल गलत है।
रविदास आश्रम के महंत स्वामी सत्यानंद महाराज का कहना है कि सगोत्रीय विवाह पर पूरी तरह पाबंदी होनी चाहिए और सरकार को इसके बंद करने के लिए कानून बनाना चाहिए।