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दीपावली की खुमारी में डूबा शहर

मुजफ्फरनगर : शहर में दीपावली पर्व हर्षोल्लास से मनाया गया। प्रत्येक घर में हवन यज्ञ, गणपति, महालक्ष्

By Edited By: Published: Sat, 25 Oct 2014 04:08 AM (IST)Updated: Sat, 25 Oct 2014 04:08 AM (IST)
दीपावली की खुमारी में डूबा शहर

मुजफ्फरनगर : शहर में दीपावली पर्व हर्षोल्लास से मनाया गया। प्रत्येक घर में हवन यज्ञ, गणपति, महालक्ष्मी-कुबेर की पूजा हुई। इष्ट मित्रों, रिश्तेदारों को गिफ्ट पैक, मिठाई वितरित कर तथा फोन या एसएमएस से दीपावली की शुभकामनाएं दी गई। रात्रि में आतिशबाजी से आसमान गुंजायमान हो उठा। इस अवसर पर करोड़ों रुपये के पटाखे फोड़े जाने का अनुमान है।

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पंचमहोत्सव पर्व के तीसरे दिन गुरुवार की सुबह अमावस्या मनायी गई। अपने देवी देवताओं को मनाने के लिए दूर-दूर से लोग अपने परिवारों में आए और एकत्र होकर परिवार में सुख शांति, समृद्धि एवं खुशहाली के लिए देवताओं (पितरों) की पूजा की। यज्ञ-हवन किए। घी के दीपक जलाए। इसके पश्चात प्रसाद वितरित किया। दिन में व्यापारियों, उद्योगपतियों आदि ने अपने दुकानों व प्रतिष्ठानों में हवन पूजन कराया और अपने कर्मचारियों को मिठाई व गिफ्ट आदि उपहार देते हुए दीपावली की शुभकामनाएं दी। शाम के समय शुभ मुहूर्त वृष लग्न (स्थिर लग्न) में घरों में दीपक व मोमबत्ती जलाकर गणपति, महालक्ष्मी व कुबेर की पूजा अर्चना की। इसके पश्चात आस पड़ोस में एक दूसरे के घर दीपक या मोमबत्ती का वितरण किया। लोगों ने अपने इष्ट मित्रों, रिश्तेदारों, पड़ोसियों आदि को खील-बताशे, मिठाई, मोमबत्ती, गिफ्ट पैक आदि वितरित कर एक दूसरे को दीपावली की शुभकामनाएं दी।

करोड़ों के फोड़े पटाखे

गुरुवार की रात करीब साढ़े आठ बजे आतिशबाजी व पटाखे फोड़ने का क्रम शुरू हुआ। लोगों ने जमकर आतिशबाजी की जिससे आसमान गुंजायमान हो उठा। पटाखे फोड़ने का क्रम देर रात तक चलता रहा। शहर में करोड़ों रुपये के पटाखे फोड़ने का अनुमान है।

रोशनी से नहाया शहर

दीपावली से दो दिन पर्व ही लोगों ने अपने घरों को फूलमालाओं, झालरों, लडियों, कंडील आदि से सजाया। दीपावली की रात पूरा शहर रंग बिरंगी लाइटों व झालरों से जगमगा रहा था। कोई गली मोहल्ला ऐसा नहीं था, जो रोशनी से नहाया न हो। दीपावली की खुशियां मनाने में विद्युत विभाग का भी भरपूर सहयोग रहा।

सांस के मरीजों को हुई परेशानी

दीपावली पर जहां नवयुवक पटाखे फोड़कर अपना जश्न मना रहे थे। वहीं सांस, दमा के रोगी परेशानी महसूस कर रहे थे। पटाखों के प्रदूषण से बचने के लिए वह घरों में अंदर ऐसे स्थानों पर रहे जहां प्रदूषण का असर नहीं हो पा रहा था।


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