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गांधी कालोनी में टूटा ध्वनि प्रदूषण का रिकार्ड

मुजफ्फरनगर : दीपावली पर्व पर लोगों ने जमकर आतिशबाजी की और तेज आवाज वाले पटाखे जलाए। पटाखों के शोर ने

By Edited By: Published: Sat, 25 Oct 2014 12:11 AM (IST)Updated: Sat, 25 Oct 2014 12:11 AM (IST)
गांधी कालोनी में टूटा ध्वनि प्रदूषण का रिकार्ड

मुजफ्फरनगर : दीपावली पर्व पर लोगों ने जमकर आतिशबाजी की और तेज आवाज वाले पटाखे जलाए। पटाखों के शोर ने पिछले साल का रिकार्ड तोड़ दिया। कानफोड़ू किस्म के पटाखों की अधिकता के कारण ध्वनि प्रदूषण का पिछले साल का रिकार्ड टूट गया। सामान्य दिनों के अपेक्षा दीपावली वाली रात ध्वनि प्रदूषण दोगुना रहा। पटाखों से जहां ध्वनि प्रदूषण ज्यादा रहा वहीं जहरीली गैस के साथ वायु प्रदूषण भी वातावरण में खूब फैला, लेकिन प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पास वायु प्रदूषण का रिकार्ड नहीं था।

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इक्रोफ्रेंडली दीपावली मनाने की अपील को इस बार भी लोगों ने खारिज दिया और जमकर आतिशबाजी की। शहर में देररात तक आतिशबाजी व पटाखों जलाने का दौर जारी रहा। रात तीन बजे तक भी पटाखों का शोर शहर में रहा। आतिशबाजी से जहां ध्वनि प्रदूषण ज्यादा रहा वहीं वायु प्रदूषण ने भी वातावरण को बुरी तरह प्रभावित किया। रात नौ बजे के बाद धुंआ इतना ज्यादा था कि बाहर सांस लेना भी मुश्किल हो रहा था।

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के रिकार्ड के मुताबिक दीपावली की रात गांधी कालोनी में ध्वनि प्रदूषण की मात्रा सर्वाधिक 98.5 डेसीबल, महावीर चौक 85.4 डेसीबल, उत्तरी सिविल लाइन 96.4 डेसीबल, दक्षिणी सिविल लाइन 97.3 डेसीबल, अस्पताल 82.4 डेसीबल रहा। पिछले साल गांधी कालोनी में ध्वनि प्रदूषण की मात्रा 95.2 डेसीबल के आस-पास रहा था। लेकिन इस बार पटाखे की आवाज ज्यादा रही और 3 गुना डेसीबल और बढ़ गया। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के लैब तकनीशियन विजय कुमार शर्मा ने बताया कि पटाखे व आतिशबाजी से सल्फर आक्साइड व नाइट्रोजन आक्साइड गैस निकलती है, जो कि स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है। खास कर सांस के मरीजों को भारी परेशानी होती है। उन्होंने बताया कि वायु प्रदूषण का रिकार्ड विभाग के पास अभी नहीं है। लैब पूरी तरह से काम नहीं कर रही है। वायु प्रदूषण का रिकार्ड जल्द निकाला जाएगा।

सामान्य दिनों में यह रहती है ध्वनि प्रदूषण मात्रा

क्षेत्र डेसीबल

स्कूल 40 से 50

अस्पताल 40 से 50

आवासीय 45 से 55

औद्योगिक 65 से 75


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