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जमीयत जिला सचिव मौलाना मेहरबान सुपुर्द-ए-खाक

मुजफ्फरनगर : 40 वर्ष से अधिक दीन की खिदमत करने के बाद रविवार रात अंतिम सांस लेने वाले जमीयत उलेमा के

By Edited By: Published: Mon, 20 Oct 2014 07:24 PM (IST)Updated: Mon, 20 Oct 2014 07:24 PM (IST)
जमीयत जिला सचिव मौलाना मेहरबान सुपुर्द-ए-खाक

मुजफ्फरनगर : 40 वर्ष से अधिक दीन की खिदमत करने के बाद रविवार रात अंतिम सांस लेने वाले जमीयत उलेमा के जिला सचिव मौलाना मेहरबान को सोमवार सुबह उनके पैतृक गांव बरला के कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया। उनकी नमाजे जनाजा जमीयत के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने पढ़ाई। उनको कांधा देने वालों में हजारों सामाजिक व सियासी हस्तियां शामिल रहीं।

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वर्षो से दीन और दुनिया की खिदमत में जुटे मौलाना मेहरबान अली का रविवार रात बीमारी के चलते इंतकाल हो गया था। इससे पूर्व हालत बिगड़ने पर उन्हें बेगराजपुर स्थित मुजफ्फरनगर मेडिकल कालेज भर्ती कराया गया था, जहां रात्रि 10.30 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। उनका शव उनके पैतृक गांव बरला स्थित निवास पर लाया गया। उनके इंतकाल की खबर जैसे ही लोगों को हुई तो शोक संवेदना व्यक्त करने के लिए विभिन्न सामाजिक, सियासी हस्तियों का उनके निवास पर तांता लग गया।

सोमवार करीब 11.30 पर उन्हें सुपुर्द-ए-खाक किया गया। उनकी नमाजे जनाजा जमीयत के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने पढ़ाई। जमीयत के नगर उपाध्यक्ष कारी असरार ने बताया कि मौलाना मेहरबान 40 वर्षो से जमीयत से जुड़े थे और दीन व कौम की खिदमत को अंजाम दे रहे थे। मौलाना ने मदरसा महमूदिया सरवट, मदरसा मुरादिया खालापार और कुटेसरा के मदरसा में भी शिक्षण कार्य किया।

उनके परिवार में तीन बेटियां और दो बेटे हैं। मुफ्ती खलील, शाही इमाम मौलाना जाकिर, प्रदेश नायब सदर मौलाना जमालुद्दीन, जिला सदर मौलाना नजर मौहम्मद, कला पंडित विष्णु शर्मा, डा. वागीश चंद शर्मा, कलीम त्यागी, सलीम अहमद, कारी हिफ्जुर्रहमान फुलत, हाफिज मौ. फुरकान असअदी, मौलाना अब्दुल कयूम, शाहिद त्यागी, जिला पंचायत सदस्य सईदुज्जमां, बदर खान, आसिफ राही, जियाउर्रहमान, डा. रविश आलम, गौरव स्वरूप, कारी जाकिर, असद जमां, आरिफ सिद्दीकी चेयरमैन, आरिफ उस्मानी, अय्यूब त्यागी, मुफ्ती जुल्फिकार, शहरकाजी जहीर आलम, मौलाना बरकतुल्लाह, इस्लाम चेयरमैन आदि शामिल रहे।

सामाजिक खिदमत की पार की हद

मौलाना मेहरबान दीनी और सामाजिक खिदमात के लिए जाने जाते थे। उनकी खिदमात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जमीयत के किसी भी कार्यक्रम के लिए दिया जाने वाला आमंत्रण वह व्यक्तिगत तौर से स्वयं संबंधित के घर पर जाकर देते थे। इसके लिए चाहे उन्हें 100 या इससे अधिक घरों पर जाना पड़े, वह जाते थे।


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