मौकापरस्तों के मुंह पर अमन का 'तमाचा'
जानसठ (मुजफ्फरनगर) :
पूरे साल कवाल की 'भंट्ठी' पर सियासी रोटियां सेकने वालों की 'दाल' पुण्यतिथि की 'हांडी' पर नहीं चढ़ सकी। हालांकि, मौकापरस्तों ने पूरा दमखम लगाया लेकिन यह हवा अमन की चादर को पार नहीं कर सकी। न सिर्फ लोगों ने खुद संयम रखा बल्कि अमन को पलीता लगाने के मंसूबे बांधने वालों के मुंह पर तमाचा भी जड़ दिया।
जनपद में दंगे की बुनियाद कवाल में छेड़छाड़ को लेकर हुए तिहरे हत्याकांड ने रखी थी। इस दौरान कुछ मौकापरस्त लोगों ने अपनी सियासी रोटी खूब सेकी। आरोप-प्रत्यारोप के बाद मामला शांत हुआ तो अब पुण्यतिथि पर इन मौकापरस्तियों को लगा कि फिर से मौका मिलने वाला है।
सियासत को तो अपनी रोटी सेकने का मौका चाहिये। भले ही वह किसी का जन्म दिन या मरण दिन, उन पर इस बात का कोई फर्क नहीं पड़ता। चाहे गम हो या खुशी, उन्हें अपनी राजनीति चमकाने से मतलब है।
कवाल पर पूरे साल सियासी रोटियां सिकीं। लोगों ने अपने-अपने तरीके से काम किया। उन्हें इंतजार था पुण्यतिथि कार्यक्रम का, ताकि इस मुद्दे को कुछ आगे तक चलाया जा सके। गनीमत रही कि पुण्यतिथि का कार्यक्रम शांतिपूर्वक संपन्न हो गया, जिससे सियासी लोगों की गोटियां रखी रह गई।
सूत्रों की मानें तो जनपद की आग धीरे-धीरे बुझने के बाद सांप्रदायिकता फैलाने वाले लोगों की नजरें सचिन-गौरव की पुण्यतिथि पर टिकी थी। उन्होंने सांप्रदायिक बवाल को फिर से कराने के लिए अपनी गोटियां हर तरफ बिछा दी थी।
कवाल के बीच से होकर पुण्यतिथि में जाने को लेकर माहौल गर्माया तो इन मौकापरस्तों को लगा कि उनकी गोटियां फिट बैठ चुकी हैं, लेकिन अमन पंसद लोगों ने धैर्य व सांप्रदायिक सौहार्द का परिचय देकर उनके मंसूबों पर पानी फेर दिया।
मौलाना नजीर अहमद कासमी ने कहा कि पिछले वर्ष हुए दंगे में भी सियासी लोगों का हाथ था और कई लोगों ने इस बार भी कोशिश की। पर इस बार दोनों समुदाय के लोगों ने अमन का संदेश दिया है। यह सांप्रदायिक ताकतों के मुंह पर तमाचा भी है।
गौरव के पिता रविंद्र का माना है कि कवाल के तिहरे हत्याकांड से लेकर जनपद में हुए बवाल तक में राजनीतिक लोगों का हाथ था। इस बार ऐसे लोगों की चाल फेल हो गई है।