न हिंदू जीता, न मुसलमान हारा
मुजफ्फरनगर
मलिकपुरा में सचिन व गौरव की बरसी पर कवाल के रास्ते से आवाजाही को लेकर चल रही तनातनी के बीच जिला प्रशासन ने बीच का रास्ता निकाला। केंद्रीय राज्यमंत्री डा. संजीव बालियान का काफिला और कारों को कवाल के रास्ते से ही निकाला गया, जबकि ट्रैक्टर-ट्राली व बाइक सवारों को बाइपास से निकलवाया। न किसी की जीत हुई न किसी की हार। सबकी बात रह गई और कार्यक्रम भी निर्विघ्न संपन्न हो गया। शांति व्यवस्था बनाने में न सिर्फ पुलिस-प्रशासन, बल्कि ग्रामीणों ने भी पूरा जोर लगाया।
मलिकपुरा में सचिन व गौरव की बरसी पर कवाल-मलिकपुरा में चप्पे-चप्पे पर फोर्स तैनात रही। कवाल गेट पर बैरियर लगाकर पुलिस मुस्तैद की गई थी। सुबह वाहनों को अंदर जाने से रोकने पर लोग बिफर पड़े और ग्रामीणों की पुलिस से नोकझोंक भी हुई। कवाल से वाहनों को शांतिपूर्वक निकालना पुलिस के लिए चुनौती बना हुआ था।
पिछले दिनों बरसी के दिन कवाल के अंदर से आने-जाने को लेकर दोनों गांवों में तनातनी हो गई थी। एक तरफ जहां कवाल के कुछ लोग अंदर से न जाने देने पर अड़े थे तो वहीं दूसरी तरफ आयोजकों ने साफ कह दिया कि यह 'एलओसी' नहीं है। दोनों गांवों के ग्रामीणों की बयानबाजी के बाद जिला प्रशासन हरकत में आया और दोनों पक्षों को समझा बुझाकर बीच का रास्ता निकाला।
गुरुवार को केंद्रीय राज्यमंत्री डा. संजीव बालियान, भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत सहित अन्य सभी कारों को अंदर से जाने से दिया, जबकि ट्रैक्टर-ट्राली और बाइक से बरसी में जाने वाले ग्रामीणों को बाईपास के रास्ते से निकाला।
प्रशासन की रणनीति में ग्रामीण बने 'हथियार'
पिछली बार के दंगे से सबक लेते हुए बरसी पर प्रशासन ने जो रणनीति बनाई थी, उसमें ग्रामीणों को ही 'हथियार' बनाया गया। कवाल के मुख्य द्वार पर पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों ने ट्रैक्टर-ट्राली और ग्रामीणों को अंदर जाने से रोकने के लिये ग्राम प्रधान महेंद्र सैनी, बिंट्टू सिखेड़ा, अंकुर, कल्याण सिंह मंदौड़, पवन चेयरमैन, पप्पू नंगला, प्रमोद मंदौड़ आदि को पहली कतार में खड़ा कर रखा था। ये लोग अंदर से जाने के लिए अड़ने वाले ट्रैक्टर-ट्राली सवार ग्रामीणों को समझा बुझाकर आगे के रास्ते से निकाल रहे थे। कुल मिलाकर प्रशासन की इस बार की रणनीति काम आई है।
'भाइयो बाईपास से जाना'
बरसी के आयोजकों ने भी ग्रामीणों ने बाईपास से होकर जाने की अपील की। अपील का असर दिखाई दिया और ज्यादातर गाड़ियां बाईपास से होकर निकल गई। वैसे वाहनों को बाईपास से निकालने में पुलिस-प्रशासन को कोई खास मशक्कत नहीं करनी पड़ी। बाईपास प्वाइंट पर काफी फोर्स तैनात थी। लोकनिर्माण विभाग का रोलर भी खड़ा था, ताकि जरूरत पड़ने पर रास्ता अवरुद्ध किया जा सके।