दादी, मेरे पापा कहां गए हैं?
नवनीत कांबोज, जानसठ
दादी, मेरे पापा कहा हैं? यह सवाल था सचिन की बरसी में पहुंचे उसके तीन साल के बेटे गगन का। चूंकि, उसे जिंदगी और मौत के मायने पता नहीं, इसलिये अपनी दादी से उसका यह सवाल बड़ा सामान्य और बाल सुलभ था। मासूम का सवाल अनुत्तरित रहा तो उसने घर का एक-एक कोना छान मारा। यह नजारा देख दादी ने उसे अंक में भर लिया। हर आंख जार-जार रो पड़ी और सबका कलेजा बिंध गया। दंगे ने किसी की गोद उजाड़ी तो किसी के सिर पर पिता का साया उठ गया।
सचिन की मौत के बाद उसकी पत्नी स्वाति को सरकारी नौकरी मिल गई। फिलहाल स्वाति मुजफ्फरनगर में नौकरी कर रही है और अपने तीन साल के बेटे गगन के साथ मायके में रह रही हैं। करीब एक वर्ष से पोते का बिछोह ने दादा बिसन व दादी मुनेश की जिंदगी में भी वीराना ला दिया है। करीब 11 माह बाद गुरुवार को पुण्यतिथि के मौके पर स्वाति तो नहीं आई लेकिन उसका पुत्र अपने नाना के साथ मलिकपुरा पहुंचा। गगन को देखकर परिवार के लोगों को लगा, मानो उनका सचिन ही लौट आया हो। गगन को देखकर परिजनों के मायूस चेहरे पर जीने की एक आस जाग गई। जैसे ही गगन ने घर में कदम रखा तो अपनी दादी व बुआ से लिपट गया और पहला सवाल दागा- दादी मेरे पापा कहां हैं?
बच्चे का सवाल ऐसा था, जिसने वहां मौजूद हर शख्स को झकझोर कर रख दिया। दादी व बुआ के साथ-साथ सभी की आंखे भर आई। दादी तो गगन से लिपटकर फफक पड़ीं। घर की महिलाएं आई और गगन को किसी तरह से समझाया कि-पापा बाहर गए हैं।
नन्हे हाथों ने निभाई जिम्मेदारी
गगन को इतने दिनों बाद देखकर लोगों का मेला सा लग गया था। हर कोई उससे बात करने को लालायित था। चाचा राहुल की गोद में बैठकर गगन ने अपने पिता की आत्मिक शांति के लिए हवन में आहुति दी और उनके फोटों पर पुष्प चढ़ाकर श्रद्धांजलि भी दी। यह देखकर हर आदमी की आंखों में पानी भर आया था।