दिखा हिलाल, महका गुलशन, आज ईद है
मुजफ्फरनगर: लो, आ गयी ईद.। इंसान को खुदा की राह में अपना सब कुछ निसार करने का पैगाम देने। उसी तकवा की याद दिलाने, जिसका हुक्म खुदा ने मुद्दतों पहले पैगंबर मो. साहिब के जरिये दिया था। वक्त की कब्र में न जाने कितनी पीढि़यां दफन हो गयीं। बच्चे जवान हुए, जवान बूढ़े हुए और बूढ़े खाक में मिल गये, लेकिन न तो पैगाम-ए-मोहब्बत बदला और न अकीदत की रवायत। ता-कयामत यह सिलसिला चलता रहेगा।
हर दिल-ओ-दिमाग करेगा खुशी का इजहार, हर बंदे के होंगे सभी गुनाह माफ, क्योंकि यह पाक घड़ी एक साल बाद आई है। उम्मत तो उम्मत, सजे धजे बाजार भी ऐसे खिलखिला रहे हैं मानो गुलशन में बहार आ गयी हो। नूरानी महक से चमन सराबोर है और जर्रे-जर्रे पर अकीदत का नूर चढ़ गया है।
ऐसे नुजूल हुआ कलाम-ए-अल्लाह
रमज़ान माह में खुदा की तरफ से इंसानियत और जिंदगी का पैगाम देने के वास्ते हजरत जिब्राइल अलै. फरिश्ते के जरिये अर्शे इलाही से आसमानी दुनिया पर 30 सिपारों में कलाम-ए-अल्लाह नुजूल हुआ था। इसे हम मुकद्दस कुरआन के नाम से भी जानते हैं।
इस माह में अल्लाह का हुक्म पूरे माह रमजान रखने का भी है। इंसान रमजान में जितनी इबादत करता है, वह उतना ही अल्लाह की कुरबत हासिल करता है। पाबंदी से पांच वक्त नमाज, दिन में रोजा। ये अपनी नफ्स को काबू कर इच्छाओं को त्यागने का इम्तिहान भी है। इन पर खरा उतरने पर अल्लाह खुद तोहफा देता है।
इस ख्यालात का इजहार करते हुए डा. जमील अहमद शाद कहते हैं-
कुरबत खुदा-ए-पाक की पायेंगे रोजेदार
जन्नत में एक मकाम बनायेंगे रोजेदार
पायेंगे लाखों नेकियां हर एक लफ्ज पर
अल्लाह की रजा में जो आयेंगे रोजेदार
ईद का चांद दिखने की पुष्टि होते ही लोगों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी है। उनके इस जज्बे को देख अल्लाह ने भी रहमतों और बरकतों की बारिश शुरू कर दी है। अल्लाह बंदों को ताकीद करता है कि गरीब लोगों को भी ईद की खुशियां मनाने का हक है। इसलिये साहिब-ए-माल को चाहिये कि वो अपने माल का जकात, फितरा निकालकर गरीबों में तकसीम करें ताकि वे भी खुशी से ईद मना सकें।
इफ्तार और सहर की वो बरकात बेपनाह
उसकी रजा से खूब ही पायेंगे रोजेदार
देकर जकात फितरा व सदका गरीब को
इंसानियत का फर्ज निभायेंगे रोजेदार
शायर विजेंद्र परवाज कहते हैं-
मोहब्बत का हसीं पैगाम ठहरा ईद का दिन तो
यहां नफरत की गुंजाइश नजर आती नहीं हमको।
सभी मिलते हैं आपस में तो तकदीरें संवरती हैं।
यही वो ईद का दिन है कि जब खुशिया बिखरती हैं।
इस मुकद्दस माह में जिसने भी सच्चे दिल से इबादत कर रोजे रखे और गरीबों की मदद की, वे ईद के दिन दो रकात, नमाज पढ़कर अल्लाह का शुक्र अदा करते हैं। एक दूसरे को मुबारकबाद के साथ शीर सिवइयां भी पेश करते हैं-
कुरबत खुदा-ए-पाक की पायेंगे रोजेदार।
जन्नत में इक मकाम बनायेंगे रोजेदार।
रमजान में ऐ शाद यूं करके इबादतें
जज्बे के साथ ईद मनायेंगे रोजेदार।