बवाल का सबब न बन जाए पुलिस की मनमानी
मुजफ्फरनगर पुलिस ने फुगाना में दो युवकों को दंगे का आरोपी बताकर बुधवार शाम उठा लिया। पता चला कि जिन युवकों को पुलिस ने हिरासत में लिया है उनके पक्ष में वादी ने ही शपथ पत्र दे रखे हैं। मामला तूल पकड़ने पर भाजपाइयों ने मामले की शिकायत एसएसपी से की। इसके बाद दोनों को छोड़ दिया गया। घटना के बाद गांव में पुलिस के खिलाफ जबरदस्त आक्रोश है।
दंगे के आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस लगातार दबिश दे रही है। हरसंभव प्रयास कर 26 मई से पूर्व ही सारे केस के आरोपियों को सलाखों के पीछे पहुंचाने की जल्दी में पुलिस मनमानी पर भी उतारू है।
बुधवार को पुलिस ने फुगाना गांव में दबिश देकर विनीत और सुधीर को उठा लिया। ग्रामीणों ने लाख समझाया कि दोनों के खिलाफ कोई मुकदमा दर्ज नहीं है, लेकिन पुलिस नहीं मानी। इसको लेकर पुलिस के साथ ग्रामीणों की झड़प भी हुई।
इसके बाद पुलिस गांव के ही पूर्व प्रधान हरपाल सिंह व राजकुमार पटवारी के घर पहुंच गई। आरोप है कि पुलिस ने यहां महिलाओं के साथ गाली गलौज भी की। ग्रामीणों ने बताया कि पूर्व प्रधान और रामकुमार के परिवार का भी दंगे के मुकदमों से कोई संबंध नहीं है।
ऐसे में पुलिस की कार्रवाई को लेकर रोष फैल गया। भाजपा नेता नितिन मलिक समेत कई लोग गांव में पहुंच गए। फोन कर एसएसपी एचएन सिंह को पूरे प्रकरण की जानकारी दी। एसएसपी ने तुरंत थाना पुलिस को युवकों को छोड़ने के निर्देश दिए। शाम को ही दोनों युवकों को छोड़ दिया गया। नितिन मलिक ने आरोप लगाया कि पुलिस मनमानी कर निर्दोष ग्रामीणों को साजिशन परेशान कर रही है। पुलिस ने ऐसी हरकत बंद न की तो ग्रामीण लामबंद होकर विरोध करेंगे।
इन्होंने कहा..
सुधीर के खिलाफ मुकदमा दर्ज है। केस के आइओ से बात हुई तो पता चला कि अभी जांच चल रही है। वादी पक्ष ने सुधीर के पक्ष में शपथ पत्र दिया है। इसके बाद उन्हें छोड़ दिया गया।
-आलोक प्रियदर्शी, एसपी देहात।