दूध नहीं, जहर की बूंद कहिए
मुजफ्फरनगर। सावधान! खरीदकर दूध पी रहे हैं तो जरा एहतियात बरतें, क्योंकि आपके दूध के गिलास में व्हाइट पेंट के साथ-साथ वैसलीन जैसे घातक पदार्थ भी हो सकते हैं। आप भले ही विश्वास न करें, लेकिन सिक्कों की खनक से मुनाफाखोरों के कानों ने मानवीयता की आवाज भी सुननी बंद कर दी है। मोटे मुनाफे के लिये दूध में मिलाये जा रहे घातक रसायन कैंसर का भी कारण बन सकते हैं।
अधिक मुनाफा हासिल करने के लिए मिलावटखोरों ने दूध को भी जहर बना दिया है। गत वित्तीय वर्ष से आज तक खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन द्वारा जनपद की दूध डेरियों पर 1249 निरीक्षण व 295 छापे मारे गए। इस दौरान दूध के 35 नमूने लिए गए। जांच में नौ नमूने सबस्टैंडर्ड व तीन अनसेफ पाए गए।
क्या हैं शुद्ध दूध के मानक
शासन द्वारा निर्धारित मानक के अनुसार, भैंस के दूध में छह प्रतिशत फैट व नौ प्रतिशत एसएनएफ (सालिड नाट फैट) यानी अन्य मिनरल्स होने चाहिए। गाय के दूध में यह मात्रा क्रमश: 3.5 व 8.5 प्रतिशत, जबकि मिक्स्ड दूध में क्रमश: 4.5 व 8.5 प्रतिशत होनी चाहिए। इसी तरह टोंड मिल्क में क्रमश: 1.5 फैट व 8.5 प्रशित एसएनएफ निर्धारित है।
कैसे बन रहा सिंथेटिक दूध
खाद्य सुरक्षा एवं औषधि नियंत्रण प्रशासन के अनुसार जांच में पाया गया है कि सिंथेटिक दूध बनाने में घटिया वनस्पति तेल, यूरिया, वेसलीन, सोडा तथा व्हाइट पेंट का प्रयोग किया जा रहा है।
इतने घातक हैं रसायन
सीएमओ डा. वीके जौहरी के मुताबिक, दूध में मिला यूरिया व वैसलीन पेट में घाव पैदा कर देते हैं। लगातार सेवन से लीवर व किडनी के कैंसर का खतरा हो सकता है। व्हाइट पेंट आंतों के कैंसर का कारण बन सकता है।
कैसे करें शुद्ध दूध की पहचान
मुख्य खाद्य निरीक्षक राहुल सिंह कहते हैं कि यदि दूध की शुद्धता की पहचान घर पर ही करनी हो तो दूध की कुछ बूंद शीशे पर डालें। यदि दूध शुद्ध होगा तो दूध शीशे पर निशान छोड़ता हुआ नीचे आएगा। यदि पानी मिला होगा शीशे पर तेजी से नीचे आएगा।
तीन माह में वसूला 2.72 लाख जुर्माना
खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन की नियमावली के अनुसार, जांच में सब स्टैंडर्ड पाए जाने पर एडीएम प्रशासन तथा अनसेफ पाए जाने पर एसीजेएम कोर्ट में क्रमश: धारा 51 व 59 के अंतर्गत मुकदमा दर्ज होता है। गत तीन माह के दौरान नमूने सब स्टैंडर्ड पाए जाने पर एडीएम प्रशासन द्वारा 2.72 लाख रुपये का जुर्माना हो चुका है।
इन्होंने कहा..
दूध में मिलावट पकड़ने के लिए लगातार छापेमारी व सैंपलिंग की जा रही है। नमूनों की जांच के बाद सब स्टैंडर्ड व अनसेफ मिलने पर संबंधित धाराओं में मुकदमे दर्ज कर कार्रवाई की जा रही है।
- डा. इंद्रमणि त्रिपाठी, प्रभारी खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन
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