अस्पताल में पौने दो घंटे बेतहाशा तड़पती रही संतलेश
मुरादाबाद : गांव कुम्हरिया जुबला की संतलेश की मौत का कौन जिम्मेदार है? स्वास्थ्य विभाग इसकी
मुरादाबाद :
गांव कुम्हरिया जुबला की संतलेश की मौत का कौन जिम्मेदार है? स्वास्थ्य विभाग इसकी जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है। गांव से 3:15 पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया। यहां से सुबह पांच बजे हालत गंभीर बताते हुए रेफर कर दिया गया। इस दौरान उसे किसी तरह की कोई दवा इंजेक्ट नहीं की गई।
कांठ से जिला मुख्यालय का सफर 30 किलोमीटर है। सुबह साढ़े पांच, पौने छह बजे एंबुलेंस से महिला अस्पताल लाया गया तो लेबर रूम से भी उसे, ये कहकर मना कर दिया कि पुरुष अस्पताल की इमरजेंसी में ले जाओ। अब इसका इलाज वहां होगा। चालक और ईएमटी पुरुष अस्पताल के इमरजेंसी कक्ष में लेकर पहुंचे। वहां चिकित्सक ने उसे भर्ती करने के बाद इलाज शुरू कर दिया, लेकिन साढ़े छह बजे संतलेश की सांसे थम गई। इससे अंदाजा लगा सकते हैं कि स्वास्थ्य विभाग मरीज की जान बचाने के लिए कितना गंभीर है। समय से उसे इलाज मिल जाता तो शायद उसकी जिंदगी बच सकती थी। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से लेकर महिला अस्पताल तक लापरवाही का क्रम नहीं टूटा। वो दो बेटी अंजलि 10 साल, राखी आठ साल, बेटा नितेश कुमार चार साल को रोता बिलखता छोड़ गई।
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स्वास्थ्य केंद्रों पर नहीं मिला उपचार
कांठ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर महिला को रात सवा तीन बजे 108 एंबुलेंस से लाया गया था। स्टाफ नर्स को बुलाने में करीब 40 मिनट का समय लगा। इसके बाद उन्होंने मरीज का इलाज नहीं किया। करीब डेढ़ घंटे तक उसे इलाज नहीं मिल पाया। हालत बिगड़ती देख स्टाफ के हाथ-पांव फूल गए और उसे जिला अस्पताल के लिए रेफर कर दिया।
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दो घंटे बाद भेजी गई दूसरी एंबुलेंस
हृदेश शर्मा के नेतृत्व में संतलेश स्वास्थ्य केंद्र पर लाया गया। इसके बाद उसे जच्चा-बच्चा वार्ड में लिटा दिया गया। अस्पताल में महिला चिकित्सक, स्टाफ नर्स या एएनएम होती तो फौरन ही उसे जिला अस्पताल के लिए रेफर किया जा सकता था। स्टाफ नर्स को बुलाने में मशक्कत करनी पड़ी और करीब दो घंटे के बाद दूसरी एंबुलेंस से उसे मुरादाबाद अस्पताल भेजा गया। ईएमटी संजय, चालक नीरज के साथ उसे जिला अस्पताल भेजा गया था, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
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रात में नहीं मिलते स्वास्थ्यकर्मी
कांठ विधायक राजेश कुमार चुन्नू ने
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में रात के समय इलाज की सुविधा पर जोर दिया था। रात में आने वाली गर्भवती महिलाओं को किसी तरह की परेशानी न हो और मरीज की जान बच सके। स्टाफ किसी की बात सुनने को तैयार नहीं है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में रात में इलाज की कोई सुविधा नहीं है।
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वर्जन कोट ::::
एंबुलेंस में ही प्रसव होने की बात सामने आई थी। महिला को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया था। हमारे यहां एमरजेंसी चिकित्सा सुविधा नहीं होने की वजह से इलाज नहीं दिया जा सका। इसलिए उसे जिला अस्पताल रेफर कर दिया था। इसके बाद क्या हुआ हमें जानकारी नहीं है।
डॉ. मृणाल राठी, एमओआइसी कांठ
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