मुझे बर्बाद मत करो, पानी हूं मैं....moradabad news
पानी का स्तर धीरे-धीरे कम होता जा रहा है। ग्लोबल वार्मिंग की भी समस्या का कारण निरंतर जल का दोहन ही है।
मुरादाबाद: जिसे अब न समझे वो कहानी हूं मैं। मुझे बर्बाद मत करो, पानी हूं मैं।।
पानी का स्तर धीरे-धीरे कम होता जा रहा है। ग्लोबल वार्मिंग की भी समस्या का कारण निरंतर जल का दोहन ही है। हम सब को विशेषकर नई पीढ़ी को जल बचाओ, पृथ्वी बचाओ के सूत्र को ध्यान में रखना होगा। हमारी पृथ्वी का लगभग 71 फीसद हिस्सा पानी से ढका हुआ है, केवल 3.5 फीसद पानी ही पीने योग्य है, जिसको बचाना अत्यंत आवश्यक है। यह विचार डीएसएम इंटर कॉलेज कांठ के प्रधानाचार्य मेजर सुदेश कुमार भटनागर दैनिक जागरण द्वारा चलाई जा रही संस्कारशाला मुहिम के तहत व्यक्त किए।
पानी का संचय कर उसका उपयोग करें
बर्तन धोते समय, ब्रश करते समय या शेविंग करते समय हम अक्सर नल को बंद करना भूल जाते हैं। इसे बंद करके हम प्रतिमाह लगभग 160 गेलन पानी बचा सकते हैं। आरओ का प्रयोग करते समय शुद्ध पानी तो प्राप्त होता है, परन्तु काफी पानी व्यर्थ हो जाता है। इसको हम संचय करें तो उसका भी उपयोग हो सकता है।
बेवजह न बहाएं पानी
कार इत्यादि धोते समय पाइप का प्रयोग न करके हम सबमर्सिबल का प्रयोग करते हैं, जिससे पानी अधिक मात्रा में बह जाता है। मकानों में वाटर हार्वेस्टिंग का प्रयोग करके हम प्रतिवर्ष काफी मात्रा में वर्षा के जल का संचय कर सकते हैं। देश-विदेश के काफी लोग इस दिशा में अथक प्रयास भी कर रहे हैं। सन 1970 के देश में जल संरक्षण तकनीकि के क्षेत्र में अनुपम मिश्र ने महत्वपूर्ण कार्य किया है।
तालाबों का करें संरक्षण
उन्होंने तालाबों के संरक्षण तथा उनके पुनरुद्धार एवं वर्षा जल संग्रह की तकनीकि के बारे में लोगों को अवगत कराने के लिए उन्होंने राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश के अनेक गांवों का भ्रमण किया तथा जल संरक्षण एवं जल प्रबंधन से संबधित लेख प्रकाशित कर लोगों में जागरूकता फैलाने का कार्य किया। इस प्रकार जागरूकता फैलाने का कार्य विद्यालयों में छात्र-छात्राओं के माध्यम से किया जा सकता है। जो विभिन्न गांवों में जाकर जल संरक्षण के बारे में लोगों को जागरूक कर सकते हैं। यदि ऐसा नहीं हुआ तो वह दिन दूर नहीं जब हमें एक-एक बंूद पीने के पानी को तरसना होगा। सांद्रा पोस्टल जो पानी से जुड़े मुद्दों एवं जलीय परितंत्र पर एक विश्व विशेषज्ञ हैं।
ऐसे तो तीसरा विश्वयुद्ध पानी के लिए होगा
उन्होंने अपनी पुस्तक लास्ट ओएसिस फेसिंग वाटर स्कारसिटी में साफ शब्दों में लिखा है कि अगर तीसरा विश्व युद्ध होगा तो यकीनन जल के लिए होगा। दिल्ली सहित देश के 21 शहर ऐसे हैं जहां भूजल स्तर हर साल 0.5-2 मीटर तक नीचे गिर रहा है। अत: हमें अपनी भावी पीढ़ी को जल संरक्षण के बारे में सिखाना चाहिए, हमें अपने बच्चों को बचपन से ही जल के महत्व व उसके संरक्षण के बारे में बताना चाहिए।