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औलख पर टिप्पणी करने में आजम पर दर्ज नहीं होगा मुकदमा

राज्यमंत्री बलदेव औलख के खिलाफ टिप्पणी करने के मामले में आजम पर केस दर्ज नहीं होगा।

By JagranEdited By: Published: Tue, 20 Nov 2018 07:10 AM (IST)Updated: Tue, 20 Nov 2018 07:10 AM (IST)
औलख पर टिप्पणी करने में आजम पर दर्ज नहीं होगा मुकदमा
औलख पर टिप्पणी करने में आजम पर दर्ज नहीं होगा मुकदमा

रामपुर : राज्यमंत्री बलदेव औलख के खिलाफ टिप्पणी करने के मामले में पुलिस ने पूर्व मंत्री आजम खां के खिलाफ कार्रवाई से मना कर दिया है। शिकायत पर जांच के बाद पुलिस ने यह मामला थाने के बजाय कोर्ट में ले जाने की सलाह दी है। आजम खां के खिलाफ भाजपा नेता भारत भूषण गुप्ता और पूर्व मंत्री हाजी निसार हुसैन के बेटे अधिवक्ता मुस्तफा हुसैन ने शिकायत की थी। ये लगाया गया था आरोप इन शिकायतों में आरोप था कि पूर्व मंत्री आजम खां ने लालपुर व बिलासपुर में धरना दिया था, जबकि उस वक्त जिले में निषेधाज्ञा लागू थी। धरने के दौरान पूर्व मंत्री ने ¨सचाई राज्यमंत्री बलदेव ¨सह औलख पर आपित्तजनक टिप्पणी भी की थी। शिकायती पत्रों में पूर्व मंत्री के खिलाफ निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने और मानहानि का मुकदमा चलाए जाने की मांग की थी। अधिवक्ता ने तो इस मामले में आइजीआरएस पर शिकायत की थी। शिकायत की जांच एसपी ने सीओ स्वार राहुल कुमार को सौंपी थी। सीओ ने अपनी जांच पूरी करते हुए आख्या एसपी को दी। एसपी के माध्यम से यह आख्या शिकायतकर्ता मुस्तफा हुसैन के पास पहुंची। अधिवक्ता ने बताया कि सीओ ने अपनी जांच रिपोर्ट में कहा है कि दोनों मामलों में विधिक राय ली गई थी, जिसमें कहा गया है कि यह मानहानि का मामला है। इसे थाने में दर्ज नहीं किया जा सकता है। ऐसे मामले अदालत में परिवाद के रूप में दर्ज कराए जा सकते हैं। सीओ ने अपनी रिपोर्ट में अधिवक्ता को कोर्ट में जाने की सलाह भी दी है। अधिवक्ता का कहना है कि पुलिस जानबूझकर मुकदमा दर्ज नही कर रही है, क्योंकि इससे पहले आगापुर रोड के निरमाण की मांग को लेकर प्रदर्शन करने पर आंदोलनकारियों के खिलाफ निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने का मुकदमा दर्ज कराया गया। इन पर भी दर्ज कराया गया है मुकदमा इसी तरह भाकियू जिलाध्यक्ष और किसानों के खिलाफ भी मुकदमा कराया गया, लेकिन अब आजम खां के खिलाफ दर्ज नहीं किया जा रहा है। पुलिस की भूमिका निष्पक्ष नहीं है। पुलिस नेताओं के दबाव में काम कर रही है। आम आदमी के खिलाफ फौरन रिपोर्ट लिख लेती है, लेकिन बड़े लोगों के खिलाफ पहले जांच और फिर विधिक राय के नाम पर मामले को रफादफा कर देती है।

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