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पर्यावरण और विकास के बीच संतुलन से होगा संरक्षण

मुरादाबाद : ग्लोबल वार्मिग के दौर में पर्यावरण को बचाना एक चुनौती है। पर्यावरण संरक्षण के लिए

By Edited By: Published: Mon, 26 Dec 2016 03:01 AM (IST)Updated: Mon, 26 Dec 2016 03:01 AM (IST)
पर्यावरण और विकास के बीच संतुलन से होगा संरक्षण

मुरादाबाद :

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ग्लोबल वार्मिग के दौर में पर्यावरण को बचाना एक चुनौती है। पर्यावरण संरक्षण के लिए हर व्यक्ति को योगदान देना होगा, तभी इसे बचाया जा सकता है। लोगों को इस मुहिम से जोड़ने की जिम्मेदारी को समझते हुए दैनिक जागरण ने इसे अपने सामाज की बेहतरी के लिए चलाए जाने वाले अभियान के तहत सात सरोकारों में शामिल किया है। इसके तहत दैनिक जागरण ने पौधरोपण अभियान चलाया और जनसहभागिता से एक लाख पौधे लगाये थे।

दैनिक जागरण के 15 वर्ष पूरे होने पर सात सरोकारों से जुड़े मुद्दों पर पाठक पैनल में पर्यावरण संरक्षण को लेकर कांठ रोड स्थित कार्यालय में चर्चा की। विशेषज्ञों ने पर्यावरण के प्रति कितनी जागरूकता उसे बचाने में योगदान, भविष्य में किस प्रकार से पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में भूमिका निभाई जा सकती है, इस पर मंथन किया। बहुत से अनछुए पहलू सामने और ऐसे सरल और सहज सुझाव भी मिले जिन्हें आसानी से अपनाकर पर्यावरण सुरक्षित रहने में आम आदमी भी सहयोग कर सकता है। परिचर्चा की शुरुआत में विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन बनाने पर जोर दिया गया। वक्ताओं ने कहा कि विकास जरूरी है, लेकिन पर्यावरण की कीमत पर न हो तो इससे बेहतर कुछ भी नहीं हो सकता। आज जो हालात बन रहे हैं उसके लिए कहीं न कहीं हम सब जिम्मेदार हैं। हमारे पूर्वजों ने पर्यावरण को सहेजने के लिए जो कार्य किए उसका परिणाम है कि हमें फिर भी ताजा हवा में सांस लेने का मौका मिल रहा है। लेकिन आने वाले 15 से 20 साल बाद जो स्थिति बनेगी वह बेहद भयावह होगी। फैक्ट्रियां, हाईवे बन रहे हैं। नई रेल लाइन बिछाई जा रही हैं। जिसके चलते लगातार पेड़ों का कटान हो रहा है। जबकि जीवन दायिनी आक्सीजन हमें इन्हीं पेड़ों से मिलती है, अगर ये नहीं तो कुछ भी नहीं।

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अपने घर से करें शुरुआत: चर्चा के दौरान डॉ. अनामिका त्रिपाठी ने कहा कि हमें शुरुआत घर से करनी चाहिए। घर के गमले में ही सही पौधे जरूर लगाने चाहिए। छत पर भी उन पौधों को लगाया जा सकता है जिनसे आक्सीजन का स्तर बना रह सके। हर घर में अपने लिए पर्याप्त आक्सीजन पौधों के माध्यम से उत्पादित की जा सकती है।

जैविक खेती करें: डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के सीनियर हाइड्रोलाजिस्ट अर्जित मिश्रा ने कहा कि खेती के तरीके बदलने जरूरी हैं। खेतों में कंपोस्ट खाद का इस्तेमाल हो और उन फसलों को बोया जाए जिनसे पानी की बचत होती हो। मुरादाबाद से गुजर रही रामगंगा और गांगन में पानी नहीं है। जो पानी है वह सीवरेज का है। नदी और पर्यावरण एक दूसरे के पूरक हैं। पर्यावरण संरक्षण के लिए नदियों के जल के प्रवाह को बनाए रखना बेहद जरूरी है।

पौधरोपण जरूर करें: डब्ल्यूडब्ल्यूएफ की कोआर्डिनेटर नेहा भटनागर ने कहा कि खेतों के किनारे और जहां भी जगह मिले और पौधा जरूर लगाएं। पौधे वही लगाने चाहिए जो उस क्षेत्र की जलवायु के अनुरूप हों।

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जन्मदिन पर पौधा लगाने का लें संकल्प :पर्यावरण सचेतक समिति के जिला महासचिव नैपाल सिंह पाल ने कहा कि हम सभी को अपने जन्मदिन पर पौधा लगाने का संकल्प लेना चाहिए। उसकी देखभाल भी करें। उसे बढ़ते देखकर खुशी के साथ समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाने का अनुभव होगा।

लोगों को करें जागरूक: डॉ. सीमा महेंद्रा ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण अपने आप में व्यापक शब्द है इसमें जल संरक्षण के प्रति लोगों को भी जागरूक किया जाए।

नदियों की रक्षा में हर कोई करे योगदान: डॉ. जेके पाठक ने कहा कि नदियों को बचाना बेहद जरूरी है। हमें अपनी जिम्मेदारी समझते हुए नदियों में पूजा सामग्री और गंदगी फैलाने से रोकने के लिए लोगों को जागरूक करना चाहिए।

कूड़ा फेंकने पर भरना होगा जुर्माना : नगर निगम के पर्यावरण इंजीनियर आरके पाल ने बताया कि एनजीटी लगातार सख्ती बढ़ा रहा है। नए नियमों के अनुसार सड़कों पर बिल्डिंग मेटेरियल फैलाने पर पचास हजार, कूड़ा जलाने पर 25 हजार और इधर उधर कूड़ा फैलाने पर पांच हजार रुपये का जुर्माना लगेगा।

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वर्जन कोट--यह बोले विशेषज्ञ..........

पर्यावरण संरक्षण में जल, वायु और मृदा प्रदूषण भी शामिल है। हम सभी को मिलकर अपने हिस्से की जिम्मेदारी उठानी होगी। घर से जागरूकता लाने का काम किया जाए। अगर अपने आसपास प्रदूषण फैलाते हुए देखें तो टोकने की आदत डालें। आजकल कूड़े में आग लगा दी जाती है। इस पर रोक लगनी चाहिए।

-डॉ. अनामिका त्रिपाठी, ¨हदू कालेज।

नदियां आस्था से जुड़ी हैं तो हम हर चीज उनमें प्रवाहित कर देते हैं। जबकि हमें उनकी साफ सफाई के प्रति जागरूक होने के साथ ही बच्चों को भी जागरूक करना होगा। सरकारी आफिसों को पर्यावरण संरक्षण से जोड़ा जाए। अखबार के माध्यम से जन जागरूकता अभियान चलाया जा सकता है।

-डॉ. जेके पाठक, ¨हदू कालेज।

पेड़ पौधे लगाने के साथ ही हमें जल संरक्षण पर कार्य करना चाहिए। हम सभी को घर से थैले लेकर चलना चाहिए जिससे पालीथिन का प्रयोग कम से कम हो। बच्चों को पर्यावरण संरक्षण का संदेश दें। सबसे ज्यादा वही सीखते और एक बार सीखने के बाद अपने दोस्तों के बीच भी संदेश वाहक का काम करते हैं।

-डॉ. सीमा महेंद्रा, एसोसिएट प्रोफेसर, दयानंद आर्य कन्या महाविद्यालय।

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नगर निगम पर्यावरण संरक्षण के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है। लेकिन संरक्षण तभी संभव है जब हर नागरिक अपनी जिम्मेदारी समझकर सहयोग करे। वाटर ट्रीटमेंट प्लांट बनकर तैयार है इससे रामगंगा में गंदा पानी नहीं जाएगा। हरी भरी कंपनी अब कूड़ा उठाएगी तो सभी कुछ रुपये बचाने के लालच में ना आएं उन्हें ही कूड़ा दें।

-आरके पाल, पर्यावरण अभियंता नगर निगम।

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पेड़ पौधे लगाने के प्रति जनजागरूकता अभियान गली मुहल्ले से लेकर वार्ड स्तर तक ले जाने चाहिए। हर किसी को इससे जोड़ा जाना जरूरी है। छोटे छोटे काम करके हम पर्यावरण को बचा सकते हैं। विकास कार्य के लिए एक पेड़ काटने पर तीन पेड़ लगाने का नियम होना चाहिए।

-नेपाल सिंह पाल, जिला सचिव पर्यावरण सचेतक समिति।

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पर्यावरण संरक्षण से हर व्यक्ति को जोड़ने का काम किया जाना चाहिए। मंदिरों का भी इसमें सहयोग लिया जाए। वहां से पेड़ बचाने का संदेश दिया जाए। बायो फार्मिग और कंपोस्ट खाद के प्रयोग को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। गली मुहल्ले स्तर पर भी गोष्ठी का आयोजन कर महिला और बच्चों को जागरूक किया जाना चाहिए।

-राजपाल सिंह, जिलाध्यक्ष, पर्यावरण सचेतक समिति।

पर्यावरण संरक्षण के लिए हम सभी को अपनी जीवन शैली में भी बदलाव लाना होगा। सभी को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी, बस इतनी कोशिश करें कि हम पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले काम कम से कम करें। दूसरों को भी जागरूक करें। पानी और नदियों को बचाने में सहयोग दें।

-अजित मिश्रा, सीनियर हाइड्रोलाजिस्ट, डब्ल्यूडब्ल्यूएफ।

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आज हमें आक्सीजन बचत के लिए कार्य करना होगा। इसमें जल बचाव सबसे महत्वपूर्ण है। इसका बचाव हम भविष्य की सेविंग के तौर पर करें। वाटर केलकुलेटर के जरिए प्रतिदिन प्रयोग होने वाली पानी की खपत को कम किया जा सकता है। सोचें कि हम अपने बच्चों के लिए क्या छोड़कर जाएंगे।

-नेहा भटनागर, प्रोजेक्ट कोआर्डिनेटर डब्ल्यूडब्ल्यूएफ।

------------------------ ये आए सुझाव

-घरों के बाहर नो पार्किंग के बोर्ड पर पर्यावरण संरक्षण में सहयोग दें जैसी लाइन लिखी जा सकती हैं।

-होर्डिग और बैनर लगाए जाने चाहिए।

- अधिक से अधिक पेड़ लगाए जाएं।

- विकास कार्यो के लिए पेड़ काटने की दशा में कम से कम तीन गुना पेड़ लगाने की बाध्यता की जाए

- हर घर में सोलर पैनल सिस्टम लगाया जाए

- रेल वाटर हार्वेस्टिंग कराई जाए

- कूड़ा इकट्ठा करके जलाने के बजाय उसकी कंपोस्ट खाद बनाई जाए

-घरों से ही कूड़े का पृथकीकरण हो, जिससे उसका सही प्रयोग किया जा सके।

-खेती में बायो फार्मिग करें और कंपोस्ट खाद लगाएं

-पालीथिन के बजाय कागज या जूट के थैले का प्रयोग किया जाए

-पर्यावरण संरक्षण के लिए कार्य करने वालों की स्टोरी प्रकाशित की जाएं

- थाली में उतना ही खाना लें, जितना खा सकते हैं


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