धनतेरस पर हस्त नक्षत्र और अमृत योग घर लाएगी लक्ष्मी
जागरण संवाददाता, मुरादाबाद पाच दिवसीय दीपोत्सव 28 अक्टूबर से धनतेरस के साथ शुरू हो रहा है। हर घर म
जागरण संवाददाता, मुरादाबाद
पाच दिवसीय दीपोत्सव 28 अक्टूबर से धनतेरस के साथ शुरू हो रहा है। हर घर में दीपोत्सव मनाने के लिए तैयारिया लगभग पूरी हो गई हैं। पाच दिवसीय दीपोत्सव में सबसे पहले शुक्रवार को धनतेरस होगा। इस दिन कुबेर की पूजा की जाती है। यम की पूजा का भी इस दिन विधान है। पंडित केदार मुरारी ने बताया कि इस बार धनतेरस शुक्रवार को है। यह दिन मा लक्ष्मी का होता है। इसके साथ ही हस्त नक्षत्र और अमृत योग इसे और खास बना रहा है। इसलिए त्योहार सभी के लिए सुख, समृद्धि संपत्ति दायक होगा। धनतेरस पर बर्तन, गहने आदि खरीदना शुभ माना जाता है। यूं तो सूर्योदय के साथ ही कभी भी खरीदारी कर सकते हैं। लेकिन विशेष मुहूर्त दोपहर 1:55 बजे से शाम 4:08 और प्रदोष काल शाम 6:00 से 7:30 बजे तक और स्थिर लग्न 7:50 से 9:50 बजे तक है। सोने, चादी या मिट्टी की गणेश प्रतिमा खरीदना शुभ माना जाता है।
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धनतेरस पर क्या करें
धनतेरस पर भगवान कुबेर के पूजन से पहले घर और व्यापारिक प्रतिष्ठानों में साफ सफाई करके बाहर सिंदूर से शुभ लाभ लिखें। सरसों के तेल की दीपमाला जलाएं और फिर भगवान कुबेर का पूजन करें। इस दिन बीमार और गरीब व्यक्तियों को औषधियां दान करने से विशेष फल की प्राप्ती होती है।
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29 अक्टूबर को नरक चौदश
इस दिन घर व प्रतिष्ठान के साथ अपने तन और मन की सफाई भी करें। जाने अनजाने में हुए पापों का प्रायश्चित करें। नरक चौदस अपने-परायों से क्षमा मागने का सर्वश्रेष्ठ दिन है। आंटे का चौमुंखा दीपक जलाकर दरवाजे पर रखें। इसके लिए शुभ मुहूर्त शाम सात बजे से आठ बजे तक का है।
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30 अक्टूबर दीपावली
पंडित विद्याधर पाण्डेय ने बताया कि दीपकों से मा लक्ष्मी की आरती करने को दीपावली कहते हैं। इसे महारात्रि भी कहा जाता है। घर के पूर्व उत्तर के स्थान या पूर्व या उत्तर में लकड़ी की चौकी या पट्टे पर माता लक्ष्मी व गणेश और भगवान विष्णु को स्थापित कर पूजन करें। दीपावली के दिन पूजन का शुभ मुहूर्त सुबह 7.46 से 10.04 बजे तक। दोपहर में 1.32 से 3.21 तक। शाम 6.30 से 8.20 बजे तक रहेगा।
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31 अक्टूबर गोवर्धन पूजन
दीपावली के अगले दिन अन्नकूट गोवर्धन पूजन किया जाता है। इस दिन पूजा का समय शाम 6.23 से 10.34 बजे तक का है। पहली नवंबर को भाई दौज में टीका करने का समय सुबह 7.40 से 12.08 बजे तक। दोपहर में 1.50 से 3 बजे तक और शाम को 6.20 से रात 10.30 बजे तक का है।
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कैसे पड़ी बर्तन खरीदने की परंपरा
भगवान धनवंतरि अमृत कलश के साथ सागर मंथन से उत्पन्न हुए। जब वह प्रकट हुए तो उनके हाथों में अमृत से भरा कलश था। भगवान धनवंतरि कलश लेकर प्रकट हुए इसलिए धनतेरस पर बर्तन खरीदने की परंपरा है। भगवान धनवंतरि देवताओं के चिकित्सक हैं। धनतेरस पर उनसे अच्छे स्वास्थ्य की कामना की जाती है।
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धनतेरस पर क्यों होती है यम की पूजा
धनतेरस के संदर्भ में कथा प्रचलित है। एक बार यमराज ने यमदूतों से पूछा कि प्राणियों को मृत्यु देते हुए तुम्हारे मन में कभी दया भाव नहीं आता। दूतों ने कहा कि वह अपना कर्तव्य निभाते हैं। एक दूत ने यमराज से प्रश्न किया कि अकाल मृत्यु से बचने का कोई उपाय है। तो उन्होंने कहा कि जो प्राणी धनतेरस की शाम यम के नाम पर दक्षिण दिशा में दीया जलाकर रखता है उसकी अकाल मृत्यु नहीं होती है। इस मान्यता के अनुसार धनतेरस की शाम लोग आगन में यम देवता के नाम का दीप जलाकर रखते हैं। लोग व्रत भी रखते हैं।
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शख को घर लाएं, दीपावली पर बजाएं
धनतेरस पर शंख खरीदना भी फलदायी माना गया है। इस शंख को दीपावली पूजन के समय जरूर बजाना चाहिए। इससे घर में लक्ष्मी का आगमन होगा और अनिष्ट टल जाते हैं। इस दिन नमक का पैकेट भी घर लेकर आएं और इसे इस्तेमाल भी करें। कहते हैं कि नमक खरीदकर लाने से सालभर धनाभाव नहीं होता और सुख समृद्धि रहती है।