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शरीयत में दखलअंदाजी बर्दाश्त नहीं

जागरण संवाददाता, मुरादाबाद : समान नागरिक संहिता के विरोध में मुस्लिम समुदाय ने जोरदार तरीके से वि

By Edited By: Published: Sat, 22 Oct 2016 02:15 AM (IST)Updated: Sat, 22 Oct 2016 02:15 AM (IST)
शरीयत में दखलअंदाजी बर्दाश्त नहीं

जागरण संवाददाता, मुरादाबाद :

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समान नागरिक संहिता के विरोध में मुस्लिम समुदाय ने जोरदार तरीके से विरोध जताना शुरू कर दिया है। शुक्रवार को जामा मस्जिद चौराहे पर नमाज के बाद जुटे उलमा, दानिश्वर और महिलाओं ने मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के समर्थन में फार्म पर हस्ताक्षर करते हुए एक सुर में कहा कि तमाम चीजों से ऊपर शरीयत है। शरीयत में दखलअंदाजी बर्दाश्त नहीं की जाएगी, जो मामले शरीयत के कानून से चलते हैं उसमें भी दखलअंदाजी करना ठीक नहीं है। तीन तलाक और बहुविवाह के बारे में केंद्र सरकार के हलफनामे का विरोध जताया गया। उलमा और दानिश्वरों ने कहा कि निकाह, तलाक, खला, फसख विरासत के दीनी हुक्म से पूरी तरह मुतमईन हैं। इसमें किसी तरह का बदलाव मुसलमान मर्द और औरत को बर्दाश्त नहीं है। भारत में हर मजहब के मानने वालों को अपने मजहब पर चलने की पूरी आजादी कानून ने दी है। इसलिए शरीयत के कानून के लिए मुसलमान मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के साथ हैं। इसमें सूफी अजीम अर्शी, सलीम बाबरी, अब्दुल रऊफ शम्सी, मुहम्मद उमर मलिक, अथर अली खां, परवेज खां, अतीकुर्रहमान, राशिद अली, हाजी जावेद अंसारी, तारिक अनवर, अख्तर अहमद खां के अलावा भारी तादाद में महिलाओं ने हस्ताक्षर किये।

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-शरीयत के कानून में कोई फेरबदल नहीं हो सकता। तीन तलाक के मामले को बेमतलब में तूल दिया जा रहा है। शरीयत का कानून हम सभी को मान्य है।

-सैयद मासूम अली, शहर इमाम।

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समान नागरिकता का कोई मामला नहीं है। शरीयत ने महिलाओं को भी पूरा हक दिया है। शरीयत में फेरबदल करने का कोई मतलब नहीं उठता।

-मुफ्ती सैयद फहद अली, नायब शहर इमाम।

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हम सभी के लिए सबसे पहले शरीयत है। केंद्र सरकार ने बेवजह तीन तलाक का मामला उठाया है। शरीयत कानून सबसे ऊपर है।

-मुफ्ती रईस अशरफ, प्रधानाचार्य मदरसा तहजीबुल इस्लाम।

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इस्लामी निजाम में सभी का ख्याल रखा जाता है। शरीयत के कानून में कोई बदलाव नहीं हो सकता। इसे मुद्दा बनने नहीं दिया जाएगा। हम इसमें मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के साथ हैं।

-डॉ. एसटी हसन, पूर्व महापौर।


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