पहले ढील, फिर बिल्डिंग सील
जागरण संवाददाता, मुरादाबाद : अवैध निर्माण को लेकर प्राधिकरण के अफसरों का अपना एक अलग कानून चलता है
जागरण संवाददाता, मुरादाबाद :
अवैध निर्माण को लेकर प्राधिकरण के अफसरों का अपना एक अलग कानून चलता है। अगर उनके मनमाफिक काम हुआ तो अवैध निर्माण भी मान्य हो जाता है। अफसरों के हित पूरे होने के बाद अवैध बिल्डिंग पर निर्माण शुरू हो जाता है। बीते एक साल में प्राधिकरण ने आधा दर्जन स्थानों में इमारतों को सील किया। महज कुछ ही दिनों में भवन स्वामी ने सील तोड़कर काम शुरू कर देते हैं। इसमें अफसरों की जेब भी गर्म होती हैं। रामगंगा विहार में चार भवनों में सील लगाने की कार्रवाई की थी, जिसमें तीन भवन सेल्स टैक्स रोड में स्थित हैं। इनकी सील लगे होने के बावजूद काम पूरा हो गया। इसके साथ ही सीएल गुप्ता वर्ल्ड स्कूल के सामने एक बैंक्वेट हाल का निर्माण किया जा रहा था। प्राधिकरण के अफसरों ने तीन माह पूर्व इसे आवासीय नक्शे के विपरीत निर्माण बताकर सील कर दिया था। मौजूदा वक्त में निर्माण किया जा रहा है। अक्सर देखने में आता है कि प्राधिकरण के अफसर पहले छूट देकर अवैध निर्माण कराते हैं और फिर सील खोलने के नाम पर सौदेबाजी करते हैं। इसमें एक पूरा नेटवर्क प्राधिकरण अधिकारियों की नाक नीचे काम कर रहा है। बीते एक साल से सिविल लाइंस इलाके में सड़क पर भू स्वामी हरभजन सिंह चड्ढा के द्वारा निर्माण कार्य किया जा रहा था। उस दौरान प्रशासन से लेकर प्राधिकरण अफसरों के कानों में जूं तक नहीं रेंगी। अब भवन बनकर तैयार हो गया है। प्राधिकरण की टीम ने आनन-फानन में दोनों बिल्डिंगों को अवैध मानते हुए सील कर दिया। अधिकारियों ने तर्क दिया कि नक्शे के अनुरूप निर्माण कार्य नहीं किया गया इस कारण भवन को सील करने की कार्रवाई की गई। अब ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब निर्माण हो रहा था उस समय निर्माण कार्य को क्यों नहीं रोका गया।
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वर्जन---
अवैध निर्माण को लेकर जनता को भी जागरूक होना पड़ेगा। नियमों के विपरीत किसी को भी कार्य करने का हक नहीं है। अवैध निर्माण को लेकर अगर प्राधिकरण अफसरों और कर्मचारियों की शिथिलता या मिलीभगत पकड़ में आती है तो जांच कर दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई तय की जाएगी।
एल.वेंकटेश्वर लू,कमिश्नर एवं अध्यक्ष, मुविप्रा