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ऐसे हालात में कैसे जीवित रहेगी हॉकी

जागरण संवाददाता, मुरादाबाद हॉकी की दुनिया के बेताज बादशाह मेजर ध्यानचंद की सोमवार को जयंती है। इसे

By Edited By: Published: Mon, 29 Aug 2016 02:52 AM (IST)Updated: Mon, 29 Aug 2016 02:52 AM (IST)
ऐसे हालात में कैसे जीवित रहेगी हॉकी

जागरण संवाददाता, मुरादाबाद

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हॉकी की दुनिया के बेताज बादशाह मेजर ध्यानचंद की सोमवार को जयंती है। इसे राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में पूरे देश में मनाया जाएगा। मेजर साहब को याद किया जाएगा, बड़ी-बड़ी बातें होंगी, हॉकी को आगे बढ़ाने की बात होगी। शासन प्रशासन स्तर से खिलाड़ी सम्मानित होंगे और खेल के बढ़ावे को योजनाएं बनेंगी। लेकिन मौजूदा समय में हॉकी की जो बदहाल स्थिति है उसको दूर करने के लिए किया कुछ नहीं जाएगा। इन हालात में हॉकी कैसे जीवित रहेगी इसके बारे में कोई भी कुछ बोलने वाला नहीं है।

महानगर के जीआइसी मैदान को ही ले लें। इस मैदान से अथर खान जैसे अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी निकले हैं। इसके अलावा मुहम्मद अली खां, अमान अली, मुहम्मद इमरान, अख्तब खान, मुहम्मद वारसी, नावेद उर रहमान आदि इसी मैदान पर खेलकर बड़े हुए और हॉकी की दुनिया में अपना नाम रोशन किया। जूनियर यूपी हॉकी टीम के कप्तान रहमान मसूद भी यहीं पर खेले हैं। जिला हॉकी एसोसिएशन के सचिव ने बताया कि महानगर में अब एक भी ऐसा मैदान नहीं है जहां हॉकी के खिलाड़ी प्रैक्टिस कर सकें। जीआइसी के इस मैदान में हर शाम को खिलाड़ी प्रैक्टिस करने तो आते हैं, लेकिन उसके पहले उनको यहां पड़े पत्थरों को हटाना पड़ता है। पास में ही बन रहे बीएसए भवन ने मैदान की हालत और बिगाड़ दी है। निर्माण के लिए सामग्री ट्रकों से आती है। इन ट्रकों को किनारे से निकालने के बजाया मैदान से निकाल दिया जाता है, जिससे वहां गड्ढे हो गए हैं। कई बार मना किया गया लेकिन हुआ कुछ नहीं।

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पतंग के मांझे से कई खिलाड़ी हुए घायल

हॉकी नर्सरी के सचिव कौसर खां ने बताया कि मैदान में सुबह से शाम तक बच्चे और युवा पतंग उड़ाते हुए नजर आते हैं। शाम को जब हॉकी की प्रैक्टिस के लिए खिलाड़ी आते हैं तब भी पतंगबाजी का सिलसिला जारी रहता है। ऐसे में पतंग के मांझे से कई खिलाड़ी घायल भी हो चुके हैं। मैदान में कोई भी टूर्नामेंट कराना होता है तो हफ्तेभर पहले से मैदान तैयार करने के लिए जुटना पड़ता है।

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वर्जन

स्टेडियम में हम हॉकी की नर्सरी तैयार कर रहे हैं। आने वाले समय में यहां के खिलाड़ी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी चमक बिखेरेंगे। खेल दिवस पर बच्चों को अच्छा प्रदर्शन करने का संकल्प लेना चाहिए। साथ ही प्रशिक्षकों को भी इमानदारी से अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करना चाहिए।

- रंजीत राज, उपक्रीड़ा अधिकारी और हॉकी कोच

मेजर ध्यानचंद के जमाने में खेल की इतनी सुविधाएं नहीं थीं फिर हॉकी के हम सरताज थे, आज सबकुछ होते हुए भी हमारा प्रदर्शन लगातार गिर रहा है। इसका कारण सुविधाएं खिलाड़ियों तक न पहुंचना है।

अमित कुमार, हॉकी खिलाड़ी

स्टेडियम में सालों से नई हॉकी स्टिक नहीं आई हैं, हम उसी पुरानी स्टिक से प्रैक्टिस करते हैं। ये खराब हो चुकी हैं। जब तक खिलाड़ियों को खेल के जरूरी साधन नहीं मिलेंगे उनके खेल में कैसे निखार आएगा।

नूर मुहम्मद, हॉकी खिलाड़ी

हमें खेलने के लिए साधारण बॉल दी जाती है, जबकि हॉकी के लिए टीके की बॉल का प्रयोग किया जाता है। हम साधारण गेंद से प्रैक्टिस करके टीके बॉल से खेलने वाले खिलाड़ियों के सामने टिक नहीं पाते हैं।

नितिन बघेल, हॉकी खिलाड़ी

मैदान कहीं ऊंचा तो कहीं नीचा है, इससे बॉल लेकर ड्रिब्लिंग करने में दिक्कत होती है। सही से प्रैक्टिस नहीं हो पाती है। स्टेडियम के मैदान को सुधरवाने की जरूरत है।

मनोज गुप्ता, हॉकी खिलाड़ी


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