सिर्फ कागजों में खेल खिला रही साई
समन्वय पाण्डेय, मुरादाबाद ओलंपिक में देश के निराशाजनक प्रदर्शन के बावजूद भले ही सरकार खिलाड़ियों का
समन्वय पाण्डेय, मुरादाबाद
ओलंपिक में देश के निराशाजनक प्रदर्शन के बावजूद भले ही सरकार खिलाड़ियों का सम्मान कर रही हो। वरिष्ठ खिलाड़ी इससे इत्तेफाक नहीं रखते। खिलाड़ियों को तैयार करने में देश की सर्वोच्च खेल संस्था स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (साई) पर कुछ नहीं करने का आरोप लगाया है। वर्ष 2002 कॉमन वेल्थ गेम्स में रजत पदक विजेता, वर्ष 2003 के अर्जुन अवार्डी और वर्ष 2004 के एथेंस ओलंपिक में नवीं पोजिशन पर रहे जूडो खिलाड़ी अकरम शाह का कहना है कि वर्तमान में हम टीम इवेंट में पिछड़ रहे हैं। पिछले दो तीन ओलंपिक के रिजल्ट देखें तो हम इंडीविजुअल खेलों में ही पदक ला पा रहे हैं। इसका कारण खिलाड़ियों की खुद की मेहनत रही है। प्रैक्टिस से लेकर ट्रेनिंग तक इन लोगों ने अपने आप खर्च किया है।
मुरादाबाद में चल रही प्रदेशस्तरीय जूडो प्रतियोगिता में आए श्री शाह ने दैनिक जागरण से बातचीत में साई पर आरोप लगाये। बताया कि साई खर्च तो करती है लेकिन उसके कोच गलत रिपोर्ट बनाकर उसको बरगला देते हैं। साई में ऊपर से नीचे तक व्याप्त भ्रष्टाचार ही देश में खेल को बढ़ने नहीं दे रहा है।
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अकादमी से निकल रहे खिलाड़ी
पीवी सिंधू हों या साक्षी, अभिनव बिंद्रा हों या कोई अन्य सभी इंजीविजुअल इवेंट में पदक लेकर आए हैं। इन पर साई की ओर से कुछ नहीं किया गया। इन्होंने अपनी पूरी ट्रेनिंग अकादमी में की है। अभिनव बिंद्रा ने वर्ष 2008 बीजिंग ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीता था। इसके लिए वह करीब डेढ़ साल तक विदेश में रहे और ट्रेनिंग की, जिसका नतीजा स्वर्ण पदक के रूप में सामने आया। ऐसे ही सिंधू भी अगर गोपीचंद की अकादमी में न खेल रही होती तो क्या पदक लाती। शाह का कहना है कि यह सोचने वाली बात है कि आखिर अकादमी से ही क्यों खिलाड़ी निकल रहे हैं। देश में प्रतिभाएं हैं, बस उनको निखारने की जरूरत है। उन पर खर्चा करने की जरूरत है। केवल पैसा जारी कर देने से नहीं उसकी पूरी निगरानी भी जरूरी है।