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लार से भी डीएनए और ब्लड गु्रप का खुलासा संभव

जागरण संवाददाता, मुरादाबाद : शिक्षक ही नहीं, बच्चे भी आत्मसम्मान के हकदार होते हैं। वर्ष 2000 में दे

By Edited By: Published: Sun, 31 Jul 2016 02:19 PM (IST)Updated: Sun, 31 Jul 2016 02:19 PM (IST)
लार से भी डीएनए और ब्लड गु्रप का खुलासा संभव

जागरण संवाददाता, मुरादाबाद : शिक्षक ही नहीं, बच्चे भी आत्मसम्मान के हकदार होते हैं। वर्ष 2000 में देश भर में बच्चों पर शारीरिक दंड पर पाबंदी लगने के बाद भी इस पर रोक नहीं लगी है। चिकित्सा विशेषज्ञों ने शारीरिक दंड पर सख्त रोक लगाने की वकालत करते हुए तमाम विकल्पों की पैरोकारी की।

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तीर्थकर महावीर विश्वविद्यालय में शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में कानूनी विशेषज्ञों ने कहा कि लार से भी डीएनए और ब्लड ग्रुप का खुलासा हो सकता है। कुलाधिपति सुरेश जैन, मुख्य वक्ता डॉ. आरके गोरिया ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। कुलाधिपति सुरेश जैन ने कहा कि भले ही सेमिनार का विषय नीरस हो, लेकिन आज का युग विज्ञान का युग है। व्यावहारिक जीवन में इसका बहुत महत्व है। सेमिनार में सऊदी अरब से आए मुख्य वक्ता डॉ. गोरिया ने कहा कि सरकारी स्कूलों में शारीरिक दंड ज्यादा दिया जाता है। बच्चे इससे घबरा जाते हैं। इसके लिए जरूरी है कि हम इसका बहिष्कार करें। चंडीगढ़ से आए डॉ.अमनदीप सिंह ने कत्ल में संलिप्त युवाओं पर कहा कि आज की युवा पीढ़ी बहुत आक्रामक है। आंकड़ों के हिसाब से 42 फीसद युवा आत्मसम्मान की वजह से जुर्म करते हैं, जबकि 31 फीसद जुर्म प्रतिस्पर्धा की वजह से होते हैं।

आत्मसम्मान गंवाने पर चुना जाता है गलत रास्ता

जब भी किसी बच्चे को कक्षा में शिक्षक दंड देता है तो बच्चा शर्मसार हो जाता है। पढ़-लिखकर हम अपना आत्मसम्मान कमाते हैं, लेकिन किसी भी बच्चे का जब आत्मसम्मान ही टूट जाएगा तो वो जीवन में गलत रास्ते पर निकल जाएगा।

कई देशों में लग चुकी है रोक

डॉ. गोरिया ने बताया कि पोलैण्ड में वर्ष 1783 और स्वीडन में वर्ष 1979 में इस पर प्रतिबंध लगाया जा चुका है। वर्ष 2000 में भारत में भी इस पर बैन लगा दिया गया है। केवल पाकिस्तान में आज भी यह चलन में है।

फोरेंसिक डेंटिस्ट्री में होती है चोट की जांच

टीएमयू डेंटल कालेज के प्राचार्य डॉ. मोहन गुंडप्पा ने कहा कि चेहरा ही एक मात्र ऐसा हिस्सा है, जो सामने और खुला रहता है। दांत भी चेहरे का हिस्सा हैं। इसलिए फोरेंसिक डेंटिस्ट्री से उसका ब्लड ग्रुप, डीएनए, सेक्स, आयु सब पता चल जाता है। सेमिनार के संयोजक डॉ. प्रदीप सिंह ने कहा कि आतंकवाद की तुलना में कई सौ गुना लोगों की जान सड़क हादसों में चली जाती है।

कोमल ने जीती पोस्टर प्रतियोगिता

पोस्टर प्रतियोगिता में महानगर के विभिन्न स्कूलों ने शिरकत की। विल्सोनिया की कोमल गुप्ता को प्रथम पुरस्कार दिया गया। संचालन ऐश्वर्या सेठ और आकांक्षा अग्निहोत्री ने किया। इस दौरान इंटरनेशनल जर्नल ऑफ एथिक्स, ट्रॉमा एंड विक्टोमोलॉजी का भी विमोचन हुआ। डॉ. एसएस संधू, डॉ. रंजन मोहन, डॉ. अभिषेक वाष्र्णेय, ग्रुप वाइस चेयरमैन मनीश जैन, कुलपति प्रो. आरके मुदगल आदि मौजूद रहे।


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