बच्चों के बेहतर भविष्य को परिजन हों सख्त
मुरादाबाद : इलाहाबाद के विधि छात्र प्रणवेश की जनहित याचिका पर हाईकोर्ट द्वारा शिक्षण संस्थानों के पा
मुरादाबाद : इलाहाबाद के विधि छात्र प्रणवेश की जनहित याचिका पर हाईकोर्ट द्वारा शिक्षण संस्थानों के पांच सौ मीटर के दायरे में गुटखा प्रतिबंधित किए जाने का शिक्षकों, छात्र-छात्राओं और अभिभावकों ने स्वागत किया है। शिक्षकों का मानना है कि यदि बचपन से ही बच्चों को गुटखा, तंबाकू या नशीले पदार्थो के नुकसान को बताते हुए सख्ती बरती जाये तो वह इनके प्रति आकर्षित नहीं होंगे।
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प्रतिक्रिया..
बीड़ी, गुटखा, सुपारी आसानी से मिल जाते हैं, जिसके कारण युवा इनसे दूर नहीं हो पा रहे हैं। युवाओं के बेहतर भविष्य के लिए सरकार को इनके साथ शराब पर भी पूर्ण प्रतिबंध लगा देना चाहिए। नशे का सेवन युवा पीढ़ी को बर्बाद कर देगा।
-विवेक भटनागर, छात्र।
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लड़के गुटखा खाकर दीवारों को गंदा करते हैं। कई बार तो क्लासरूम में ही थूकते हैं, जिससे बीमारियां फैलने का खतरा बना रहता है। बदबू आने से पढ़ाई में भी मन नहीं लगता। शिक्षकों द्वारा मना करने के बाद भी छात्र गुटखा खाते हैं।
-प्रियंका दिवाकर, छात्रा।
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बच्चों को नशीले पदार्थो से दूर रखने के लिए परिजनों को शुरू से ही सख्त रहना होगा। बच्चे के बड़े होने के बाद परिजन भी टोकना बंद कर देते हैं। इसकी शुरुआत सुपारी खाने से होती है। बाद में युवाओं को नशे की लत लग जाती है।
-डॉ. संजीव राजन, एसोसिएट प्रोफेसर, ¨हदू कॉलेज।
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नशीले पदार्थो का सेवन करने वाले बच्चों का मानसिक संतुलन सामान्य नहीं होता है। कई बार अवसाद की स्थिति में भी बच्चे नशे का सेवन करने लगते हैं। अभिभावकों का फर्ज है कि वह अपने बच्चों के खाने-पीने की चीजों पर ध्यान दें।
-डॉ. मीनू विश्नोई, एसोसिएट प्रोफेसर, मनोविज्ञान विभाग।