रोजेदारों का इनाम है ईदुलफितर
अलविदा ए माहे रमजान अलविदा। इस मुकद्दस महीने का अब हर दिन अलविदा है। अब गुजरने वाला दिन, मुकद्दस मह
अलविदा ए माहे रमजान अलविदा। इस मुकद्दस महीने का अब हर दिन अलविदा है। अब गुजरने वाला दिन, मुकद्दस महीने में दोबारा नहीं आएगा।
आओ खुदावंद कुद्दूस की बारगाह में अपने लिए और अपनों के लिए दुआ-ए- मगफिरत करें। हो सकता है इस मुबारक महीने की बरकत से कुछ फैज और जहन्नुम से निजात मिल जाए। ये रहमत, बरकत व बख्शिश का महीना है। इस महीने में हम अल्लाह तआला को राजी करें। हर लम्हा दुआ-ए-खैर करें। गुनाहों से बचें, क्योंकि अल्लाह की ओर से रोजेदार को इनाम का एलान होने वाला है। ये इनाम है ईदुलफितर। जो करीब है। इसलिए अल्लाह से गुनाहों की तौबा करें। अहद करें खुदा को बुराइयों से दूर रखेंगे, जिस तरह रमजान के महीने में इबादत की है। इसी तरह आगे भी जारी रखेंगे। ताकि अपने हकीकी मालिक के सामने शर्मिदा होने से बच सकें।
शायर जिया शादानी, मुरादाबाद