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सहरी के लिए नहीं सोया छह साल का अखलद

मुरादाबाद : खुदा की इबादत और मुकद्दस रमजान के रोजे रखने का जज्बा छह साल के अखलद ने दिखाया। शहर के पी

By Edited By: Published: Sat, 02 Jul 2016 02:19 AM (IST)Updated: Sat, 02 Jul 2016 02:19 AM (IST)
सहरी के लिए नहीं सोया छह साल का अखलद

मुरादाबाद : खुदा की इबादत और मुकद्दस रमजान के रोजे रखने का जज्बा छह साल के अखलद ने दिखाया। शहर के पीरजादा स्थित जहूर भाईजान वाली गली निवासी रहमत अली का छह साल का बेटा अखलद गलशहीद के क्रिसेंट पब्लिक स्कूल में कक्षा तीन में पढ़ाई कर रहा है। रमजान की रौनक और इबादत देखने के बाद उसने शुरू में ही रोजा रखने के लिए मां आयशा से कई बार कहा, तो उससे कह दिया जाता था कि सहरी में उठा देंगे। सुबह जब उसकी आंख खुलती तो दिन निकल जाता था। अलविदा जुमा का रोजा रखने के लिए अखलद सोया ही नहीं। बहन जैनब परवीन व लवीवा ने भी कई बार समझाने का प्रयास किया, लेकिन अखलद नहीं सोया। सहरी का समय हुआ तो उसने मां-बाप और बहन के साथ खाना खा लिया। परिजनों का सोचना था कि वह दिन निकलने के बाद रोजा तोड़ देगा। इसी कशमकश में जुमे की नमाज का वक्त हो गया। रहमत अली ने मदरसा हयातुल उलूम के मुफ्ती सफीर आलम से छह साल के बच्चे के रोजा रखने की जानकारी की। मुफ्ती साहब ने बताया कि अगर वह रोजा तोड़ना नहीं चाहता तो कोई जोर जबरदस्ती नहीं है। इसके बाद परिवार के सभी लोगों ने अखलद को दुआओं से नवाजा। इफ्तार के दस्तरख्वान पर अखलद का रोजा खजूर और जूस से तुड़वाया गया। अखलद ने पिता के साथ पांचों वक्त की नमाज भी अदा की।


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