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जरूरत पर तय होती जिंदगी की कीमत

मेहंदी अशरफी, मुरादाबाद : ब्लड बैंक वाले जांच के नाम पर लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ करने से नहीं चू

By Edited By: Published: Fri, 29 Apr 2016 01:59 AM (IST)Updated: Fri, 29 Apr 2016 01:59 AM (IST)
जरूरत पर तय होती जिंदगी की कीमत

मेहंदी अशरफी, मुरादाबाद :

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ब्लड बैंक वाले जांच के नाम पर लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ करने से नहीं चूक रहे हैं। चंद रुपये की खातिर एक साथ दो खून की जांच करके लोगों की जिंदगी को खतरे में डाल रहे हैं। सरकार से सब्सिडी मिलने के बाद भी रक्त की कीमत निर्धारित मूल्य से दस गुना अधिक तक वसूल की जा रही है। इतना ही नहीं नाम के लिए रखे गए टेक्नीशियन की लापरवाही की वजह से मरीज की जिंदगी तक दांव पर लग जाती है। रक्त की जांच के लिए रखी मशीनें भी खराब हैं। यह कहने में कोई गुरेज नहीं होगा कि हाथी के दांत दिखाने के कुछ और खाने के कुछ और हैं। ड्रग विभाग को भी मशीनें रखी हुई दिखा दी जाती हैं। लाल खून के काले कारोबार में निजी ब्लड बैंकों की सबसे अधिक वसूली करने की शिकायतें हैं। ब्लड बैंकों में मरीज के लिए कंपोनेंट की जानकारी करने पर ही तय कर लिया जाता है कि उससे कितने रुपये वसूलने हैं।

होल ब्लड की लाइफ 35 दिन की होती है। ब्लड बैंकों में अब खून एक्सपायर मुश्किल से होता है। क्योंकि हर ब्लड बैंक के पास डोनर्स की लिस्ट है। इमरजेंसी में उन डोनर्स को बुलाकर खून लिया जाता है। सरकारी ब्लड बैंक के अलावा आधुनिक तकनीक के माध्यम से ब्लड की जांच करने की मशीन कम ब्लड बैंकों के पास है। कुछ ब्लड बैंकों का तो हाल यह है कि उनके यहां टेक्नीशियन भी काम चलाऊ रखे गए हैं। जिसकी वजह से मिसमैच ब्लड मरीजों तक पहुंच जाता है। इससे मरीज की जिंदगी दांव पर लग जाती है। शिकायत करने पर मरीज के तीमारदार को भरोसा दिलाया जाता है कि खून सही है, लेकिन गलत तरीके से चढ़ा दिया गया। इस तरह के कई मामले कई बार देखने को मिले हैं। जरूरत के मुताबिक खून लेने वाले व्यक्ति से ब्लड बैंक पांच से दस हजार रुपये तक वसूल लेते हैं। पहले खून न होने का बहाना बनाया जाता है, उसके बाद फिर ऊंचे दाम में बेचने के लिए सौदा शुरू हो जाता है। तीमारदार को अपने मरीज की जान बचानी है तो वह जिंदगी बचाने के लिए कुछ भी कीमत देकर खून ले लेता है।

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प्रोफेशनल डोनर का निकालते हैं खून

एक जनवरी 1998 को प्रोफेशनल डोनर पर पूरी तरह बैन लगा दिया गया है। ब्लड बैंक में प्रोफेशनल डोनर पकड़े जाने पर जुर्माना और सात साल तक की सजा का प्रावधान है। इसके विपरीत आज भी निजी ब्लड बैंकों के पास प्रोफेशनल डोनर्स का पूरा डाटा बैंक है। जरूरत पर उन प्रोफेशनल डोनर्स को बुलाया जाता है और खून के रुपये लेकर वह चले जाते हैं। शहर के ब्लड बैंकों के पास करीब सौ से ज्यादा प्रोफेशनल डोनर हैं।

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रक्त जांच में लाटरी

निजी ब्लड बैंकों में खून की पांच जांचों पर लाटरी सिस्टम वाला फार्मूला इस्तेमाल किया जाता है। खून लेने के बाद एचआइवी, हेपेटाइटिस सी, हेपेटाइटिस बी, एमपी और वीडीआरएल की जांच की जाती है, लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि प्राइवेट ब्लड बैंक में दो सेम ग्रुप के लोगों के ब्लड सैंपल जांच के लिए मशीन में लगा दिये जाते हैं। यह लोग ऐसा इसलिए करते हैं कि सरकार से मिलने वाले ब्लड बेग व किट बच जाए। इसमें अगर रक्तदाता की रिपोर्ट पॉजिटिव भी आ गई तो उसे ऐसे ही रख दिया जाता है। इसके अलावा जांच के लिए ब्लड बैंक सस्ती किट बाजार से मंगवा लेते हैं।

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टेक्नीशियन को अधूरी जानकारी

निजी ब्लड बैंकों में टेक्नीशियन सबसे जिम्मेदार पद होता है। हालात यह हैं कि ब्लड बैंक का रिकार्ड पूरा करने के लिए टेक्नीशियन तो होता है, लेकिन उसे रक्त जांच की चंद चीजों के अलावा ज्यादा जानकारी नहीं होती। डोनर को जो बता दिया वह ठीक है।

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निजी ब्लड बैंक में होती है गड़बड़ी

अक्सर ब्लड बैंकों से मिसमैच ब्लड मिलने के मामले सामने आते हैं। मिसमैच ब्लड के लिए ठीकरा अस्पताल के डॉक्टरों पर फोड़ दिया जाता है। ब्लड बैंक कर्मचारी यह भी जानने का प्रयास नहीं करते की उनकी इस लापरवाही की वजह से मरीज की जिंदगी भी दाव पर लग सकती है।

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बिकता है ब्लड कंपोनेंट

समय के साथ होल ब्लड कांसेप्ट समाप्त होता जा रहा है। होल ब्लड की वजह से कई बार मरीजों को दिक्कत हो जाती है। आरबीसी 42 दिन, प्लाज्मा एफपीपी 40 डिग्री पर एक साल और प्लाज्मा तीन से पांच साल अस्सी डिग्री टेंप्रेचर पर रखा जाता है। कंपोनेंट कल्चर को मेडिकल साइंस प्रमोट कर रहा है। क्योंकि अब वही ब्लड कंपोनेंट रखे जाएंगे जिनकी मरीज को जरूरत और ज्यादा समय तक उसका इस्तेमाल किया जाएगा।

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यह कंपनी खरीदती हैं ब्लड

उत्तर प्रदेश में रिलायंस, लेक्सो, ड्राई एल्बयूमिन कंपनी ब्लड कंपोनेंट या फिर होल ब्लड खरीदती हैं। यह कंपनी इसे जमाकर पाउडर बनाते हैं। जिससे मरीज को ड्राई एल्ब्यूमिन दवा मरीज को बचाने के लिए लगाया जाता है।

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80 फीसद कंपोनेंट ब्लड

पंडित दीनदयाल उपाध्याय जिला संयुक्त चिकित्सालय के ब्लड बैंक में अब सिर्फ बीस फीसद ही होल ब्लड पर काम हो रहा है। अस्सी फीसद कंपोनेंट पर काम किया जा रहा है। आधुनिक सिस्टम के साथ कंपोनेंट ब्लड को तरजीह दी जा रही है। जिससे दान किये गए खून का कुछ भी पार्ट बेकार न जाए।

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वर्जन कोड :::::: फोटो :::::

खून के प्रति जागरूक होने की जरूरत है। खून का कोई दाम नहीं होता। सिर्फ पांच जांचों की फीस जाती है। पूरी सर्तकता के साथ ब्लड लें।

-दिवाकर सिंह, सीनियर टेक्नीशियन कंपोनेंट यूनिट जिला अस्पताल

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ब्लड बैंक के नाम पर चंदे की रसीद

सरकारी ब्लड बैंक में चार सौ रुपये एक यूनिट ब्लड की जांच के लिये जाते हैं। निजी ब्लड बैंकों में भी करीब करीब यही दाम हैं। ब्लड बैंक वाले जांच के रुपयों के बजाय आठ सौ रुपये से चौदह सौ पचास तक की चंदे की रसीद बनाकर दे देते हैं। जिससे तीमारदार को यह जानकारी नहीं हो पाती कि ब्लड जांच के रुपये हैं या फिर चंदे की रसीद है, जबकि ब्लड बैग व किट सरकार की ओर से ब्लड बैंक को दी जाती है।

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छात्राओं ने मन से किया रक्तदान

केजीके होम्योपैथिक कालेज की छात्रा कमलेश और आकांक्षा पोरवाल गुरुवार को जिला अस्पताल के ब्लड बैंक पहुंची। यहां उन्होंने स्वेच्छा से रक्तदान किया। छात्राओं का कहना था उनका बर्थडे निकल गया, उस समय वह रक्तदान नहीं कर पाई थी। आज उन्हें समय मिला तो वह रक्तदान के लिए पहुंच गई।

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यह है स्टैंडर्ड किट

रक्त रखने के लिए बेहतरीन क्वालिटी की किट इस्तेमाल की जाती हैं। इसमें स्टैंडर्ड, जे एंड मित्रा, स्पानडायग्नोस्टिक हॉल की किट बेहतरीन है। सरकारी अस्पतालों में यही किट इस्तेमाल की जाती है। सबसिडी पर प्राइवेट ब्लड बैंकों को भी मिलती हैं, लेकिन उनमें कंजूसी हो जाती है। खास बात यह है कि सौ फीसद सेंसीविटी की किट होती है।

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रक्तदान जागरूकता का संदेश

1- शरीर में लगभग छह लीटर खून होता है।

2- एक यूनिट रक्तदान यानी 350 एमएल रक्त लिया जाता है।

3- रक्तदान से शरीर पर कोई दुष्प्रभाव नहीं होता

4- दान किये गए रक्त की प्रतिपूर्ति शरीर के अंदर तिल्ली स्पिलिन में संचित रक्त से फौरन हो जाती है। जिससे शरीर में किसी तरह की कोई कमजोरी नहीं होती और सामान्य दिनचर्या पर भी कोई असर नहीं पड़ता।

5- हीमोग्लोबिन की प्रतिपूर्ति भी सामान्य प्रक्रिया से हो जाती है। इसके लिए किसी अतिरिक्त खुराक की आवश्यकता नही होती है।

6- आप बिना किसी नुकसान के प्रत्येक तीन माह के बाद रक्तदान कर सकते हैं।

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इनका नहीं लिया जा सकता खून

1- शरीर के किसी भी अंग में कैंसर

2- हृदय रोग

3- जरुरत से ज्यादा वजन कम होना

4- इंसुलिन वाले मधुमेह रोगी

5- हीपेटाइटिस बी व सी संक्रमित

6- एचआइवी का संक्रमण

7- गुर्दा रोगी

8- यकृत संबंधी बीमार

9- क्षय रोगी

10- लाल रक्त कोशिकाओं से पीड़ित


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