'दबंग' से कम नहीं डॉक्टर
जागरण संवाददाता, मुरादाबाद : ना तुम्हारी हैं और ना हमारी हैं, यह व्यवस्थाएं तो सरकारी हैं। जो गरी
जागरण संवाददाता, मुरादाबाद :
ना तुम्हारी हैं और ना हमारी हैं, यह व्यवस्थाएं तो सरकारी हैं। जो गरीब और बेसहारा की मदद के लिए शुरू की गई। यह जुमला सरकारी अस्पताल के लिए फिट बैठता है, लेकिन जिला अस्पताल मुरादाबाद में ऐसा कुछ नहीं है। सोमवार को यहां डॉक्टर साहब 'दबंग' की तरह नजर आए।
चक्कर की मिलक की रहने वाले शहाना सोमवार को अपने बेटे आशू को लेकर अस्पताल पहुंची थी। आशू को कुत्ते ने काट लिया था। डॉक्टर ने पहले तो महिला को हड़काया, फिर इंजेक्शन लगवाने के लिए प्राइवेट डॉक्टर से मिलने की सलाह दे डाली। महिला के बेटे के जख्म को साफ करने के लिए दवा तक नहीं दी। हालांकि काफी मिन्नत के बाद दवाई मिली। महिला की गलती बस यह थी कि उसने अज्ञानता की वजह से घटना के 15 दिन बाद अस्पताल आने की बात कही थी। डॉक्टर को विवेक से काम लेकर अच्छी तरह समझाना चाहिए था। मामले की जानकारी सीएमएस डॉ. वीके खरे को हुई तो उन्होंने व्यवहार पर ठीकरा फोड़ दिया। सीएमएस का कहना था कि कर्मचारियों का व्यवहार अभी ठीक नहीं है उसे सुधारने का प्रयास किया जाएगा।
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संविदा कर्मचारी भी दिखा रहे तेवर
मुरादाबाद : जिला अस्पताल में सोमवार को अपने बेटे को रैबीज का इंजेक्शन लगवाने आई महिला के साथ अभद्रता का यह पहला मामला नहीं है। पिछले दिनों पर्चा बनवाने को लेकर नियमित वार्ड ब्वाय से पर्चा बनाने वाली संविदा कर्मचारी ने कहासुनी करने के साथ हंगामा काट दिया था। आपातकालीन कक्ष में भी कर्मचारियों के खराब व्यवहार का सामना मरीजों को करना पड़ता है। सरकार स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है, लेकिन उन व्यवस्थाओं को यह लोग पलीता लगा रहे हैं।