सतिगुरु नानक प्रगटिया, मिटि धुंध जग चानन होआ...
जागरण संवाददाता, मुरादाबाद : प्रेम मार्ग पर चलकर एकता और भाइचारे के लिए शांति की राह बताने वाले कार्
जागरण संवाददाता, मुरादाबाद : प्रेम मार्ग पर चलकर एकता और भाइचारे के लिए शांति की राह बताने वाले कार्तिक पूर्णिमा को जन्मे गुरु नानक देव का 546वां जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया। महानगर के प्रमुख गुरु सिंह श्री गुरुद्वारा में पूरे दिन शबद कीर्तन और लंगर चला। महानगर के साथ ही दूर दराज से आए सिख समाज के लोगों ने गुरु का वंदन और नमन किया। विभिन्न स्थानों के रागी जत्थों ने कीर्तन कर गुरु नानक देव के जीवन वृतांत और उनके व्यक्तित्व को रेखांकित किया। कहा गया कि बेहतर समाज का निर्माण करने वाले गुरु नानक देव ने अपने जीवन दर्शन के जरिए दूसरों को जीना सिखाया।
सतिगुरु नानक प्रगटिया, मिटि धुंध जग चानन होआ...क्यों कर सूरज निकलिया, तारे हुए अंधेर पलोआ.....कीर्तन के साथ ही गुरु सिंह श्री गुरु द्वारा में धन-धन श्री गुरु नानक देव का नमन शुरू हुआ। समूह संगत की ओर से मनाए गए इस समारोह के दौरान सुबह पांच बजे नित पाठ और सुखमनी साहिब के पाठ से इसकी शुरुआत हुई। जालंधर से आए रागी जत्थे भाई मंगत सिंह निमाना द्वारा कीर्तन किया गया। लुधियाना के रागी जत्थे के भाई दिलबाग सिंह, मनमोहन सिंह निमाना व सोहन सिंह खालसा ने गुरुवाणी विचार प्रस्तुत किया। धन नानक तेरी बड्डी कमाई .. भी शबद कीर्तन में गाया गया। गुरु नानक देव के दोहा सो क्यों मंदा आकिए जित जन्मे राजान..का अर्थ समझाते हुए कहा कि उन्होंने नारियों का सम्मान करना सिखाया। उनके दो आदर्श संगत और पंगत थे। वह कहते थे कि कृत्य करो और बांटकर खाओ। उनके कहने का आशय था कि गरीबों की मदद करो। उन्होंने कहा कि यदि हम अपने गुरु के आदर्श को आत्मसात कर लें तो हमारा जीवन सफल हो जाएगा। हेड ग्रंथी ज्ञानी हरेंद्र सिंह के अलावा महिला सत्संग सभा ने भी कीर्तन किया। आखिरी में लंगर का कार्यक्रम चला। सेवा कार्यो में वीर खालसा सेवा दल एवं गुरु नानक मिशन परिवार का विशेष सहयोग रहा। कार्यक्रम का आयोजन गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष सरदार अमोलक सिंह, चेयरमैन हर भजन सिंह चड्डा, महामंत्री रणजीत सिंह, राजेन्दर सिंह, अमरजीत सिंह कैशियर, जीत सिंह, मनजीत सिंह, प्यारा सिंह, संतोख सिंह, भगवंत सिंह, गुरबख्श सिंह काका आदि ने किया। उधर, वीर खालसा सेवा दल के अध्यक्ष सरदार मनजीत सिंह, यशपाल सिंह, देवेंदर सिंह, सुखवीर सिंह, जयविंदर सिंह, अनमोल सिंह, बलवीर सिंह, सुरजीत सिंह आदि ने लंगर में सहयोग किया।