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आजमीनों की परवाज 16 से

जागरण संवाददाता, मुरादाबाद : खाना-ए-काबा का दीदार करने और मुकद्दस मुकाम की ज्यारत करने के लिए आजमीन

By Edited By: Published: Mon, 03 Aug 2015 01:41 AM (IST)Updated: Mon, 03 Aug 2015 01:41 AM (IST)
आजमीनों की परवाज 16 से

जागरण संवाददाता, मुरादाबाद : खाना-ए-काबा का दीदार करने और मुकद्दस मुकाम की ज्यारत करने के लिए आजमीने हज की उड़ान 16 से 31 अगस्त तक होगी। 28 सितम्बर से 30 अक्टूबर तक वापसी का समय मुकर्रर किया है। एक उड़ान में 340 हज यात्री परवाज करेंगे।

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हज कमेटी ने पांच साल के बाद आजमीनों की उड़ान में फेरबदल किया है। अब से पहले सऊदी एयर लाइंस की फ्लाइट से आजमीनों को मदीना तक भेजा जाता था। इसबार सऊदी अरब एयर लाइंस उन्हें दिल्ली से लेकर जाएगी। हज कमेटी ने इसके लिए 37 उड़ाने तय की हैं। नई दिल्ली हवाई अड्डे से पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, पंजाब, उत्तराखंड, चंडीगढ़ व हिमाचल के आजमीन परवाज करेंगे। उनकी वापसी 28 सितम्बर से जेद्दा एयरपोर्ट से होगी जो 13 अक्टूबर रहेगी।

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23 सितम्बर को हज

-हज ट्रेनर हाजी मुख्तार असलम के मुताबिक इस बार 23 सितम्बर को हज होगा। इसी दिन कुर्बानी व सिर के बाल मुंडवाने की रस्म अदा की जाएगी। पहली फ्लाइट यानी 16 अगस्त को मदीना पहुंचने वाले आजमीनों की 28 सितंबर से वापसी शुरू हो जाएगी।

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मक्का शरीफ में मुकद्दस मुकामात

हिज्रे असवद:- खाना-ए-काबा के एक कौने में नस्ब काला पत्थर। जहां से आजमीन तवाफ शुरू करते हैं। मुल्तजम:- हिज्र असवद व बैतुल्लाह के दरवाजे के दरम्यान की दीवार जहां दुआ करना मुस्तहिब है।

हतीम:- बैतुल्लाह से मिला वो हिस्सा जो कभी खाना-ए-काबा का हिस्सा था।

मीजाबे रहमत:-ये वो परनाला है जिससे खाना-ए-काबा की छत का बरसात का पानी गिरता है।

मकामे इब्राहीम:- ये वो पत्थर है जिस पर खड़े होकर हजरत इब्राहीम अलै. ने बैतुल्लाह को तामीर किया।

जम जम:- हरम शरीफ के अंदर कुंआ है जिसका पानी पीना मुस्तहिब है। इसे पीने से प्यास व भूख दोनों में सैराबी हासिल होती है।

बाबुल इस्लाम:-मस्जिद हरम का वो दरवाजा जो सफा व मरवाह की बाहरी दीवार के बीच है। इससे अव्वल मर्तबा दाखिल होना अफजल है।

तनईम:-मक्का मुकर्रमा में कयाम के दौरान मीकात है। हज व उमराह के लिए यहां से नीयत की जा सकती है।

मीकात:-वो मुकाम है जहां से मक्का मुकर्रमा की जानिब आने वालों के लिए उमराह व हज के लिए एहराम बांधना व नीयत करना जरूरी होता है।


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