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खुद बीमार तो कैसे करे उपचार

मुरादाबाद:यदि कोई व्यक्ति खुद ही बीमार हो तो वह दूसरे को उपचार की क्या सलाह देगा। कुछ ऐसा ही हाल है

By Edited By: Published: Sun, 05 Jul 2015 02:21 AM (IST)Updated: Sun, 05 Jul 2015 02:21 AM (IST)
खुद बीमार तो कैसे करे उपचार

मुरादाबाद:यदि कोई व्यक्ति खुद ही बीमार हो तो वह दूसरे को उपचार की क्या सलाह देगा। कुछ ऐसा ही हाल है मुरादाबाद विकास प्राधिकरण का। रेन वाटर हार्वेस्टिंग की बात करें तो इसे लेकर प्राधिकरण की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि खुद उसके परिसर में मौजूद जल संचयन का सिस्टम ही सालों से खराब पड़ा है।

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जल संचयन को लेकर सरकारी विभाग बिल्कुल गंभीर नहीं है। कागजी खाका तैयार करने के लिए रोज नए आदेश प्राधिकरण में तैयार किए जाते है, लेकिन उनको अमल में लाने के लिए कोई गंभीरता नहीं दिखाई जाती है। इस लापरवाही के कारण लाखों लीटर पानी बर्बाद हो जाता है। जिसके कारण भूजल स्तर दिनोंदिन गिरता जा रहा है। दूसरी ओर भूमि जल का तेजी के साथ दोहन भी किया जा रहा है, लेकिन इन प्रक्रियाओं पर लगाम लगाने में सरकारी तंत्र पूरी तरह नाकाम साबित हुआ है। यह स्थिति हमें धीरे धीरे संकट की ओर ले जा रही है।

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केवल कागजों में होती है कलाकारी

कागजों में सरकार को जल संचयन की कलाकारी दिखाने वाले प्राधिकरण के अफसर हकीकत में फेल हो जाते हैं। मौजूदा समय में मुरादाबाद विकास प्राधिकरण द्वारा 32 हार्वेस्टिंग सिस्टम शहर में बनाए गए हैं, लेकिन इनमें से महज आधा दर्जन सिस्टम ही ऐसे होंगे जो ठीक तरह से काम कर रहे हैं। बचे हुए सिस्टम की हालत प्राधिकरण दफ्तर में मौजूद वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम जैसी ही है।

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बस नक्शों में बने वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम

विकास प्राधिकरण तीन सौ मीटर से बड़े आवासीय परिसर में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवाने पर ही नक्शा पास करने का दावा करता है, लेकिन अफसरों के ये दावे भी बस कागजी ही साबित हो रहे हैं। अफसर केवल नक्शों को पास करते समय वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम पर नजर दौड़ाते हैं, लेकिन उस पर अमल कितना हो रहा है, इस पर बिल्कुल ध्यान नहीं देते। ऐसे में प्राधिकरण का ये नियम भी केवल हवाई ही साबित हो रहा है।

प्राधिकरण की नवीन नगर योजना बनी नजीर

कांठ रोड पर हाल ही में प्राधिकरण ने अपनी लोहिया अपार्टमेंट योजना में 42 फ्लैट्स बनाकर जनता के हवाले किए हैं। इस योजना के निर्माण में प्राधिकरण के इंजीनियरों ने जल संचयन को ध्यान में रखकर काम किया है। इसके तहत एक हजार वर्गमीटर में बारिश के पानी का संचयन किया जा सकता है। योजना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले जेई राजेन्द्र कुमार बताते है कि इस योजना में एक बूंद जल की बर्बादी नहीं हो सकती है। जल संचयन के लिए 18 हजार लीटर की टंकी बनाई गई है।

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सचिव ने दिए सत्यापन के आदेश

बरसात का मौसम शुरू होने के बाद प्राधिकरण के अफसरों को वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के सत्यापन की याद आई है। इसी सप्ताह सचिव जंगबहादुर सिंह यादव ने शहर में लगे 32 वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के सत्यापन करने का आदेश अधिशासी अभियंता एके सिंघल को दिया है। उन्होंने कहा है कि अगर कोई वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम खराब पड़ा है तो उसे तुरंत दुरुस्त कर संचालित किया जाए।

हम लोग बरसाती जल संरक्षण को लेकर गंभीरता से काम कर रहे हैं। सभी सरकारी विभागों के अधिकारियों को कहा गया था कि बरसात के मौसम से पहले रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को दुरुस्त किया जाए, अब इन्हें चेक कराया जाएगा।

- दीपक अग्रवाल, जिलाधिकारी

बातचीत-

वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम प्रत्येक भवन में अनिवार्य होना चाहिए। इससे ही भविष्य के लिए जल का संचयन हो सकता है। हमें अभी से गंभीर होना होगा।

गंगाराम सैनी, पार्षद

कालेज में भी वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगा है। छात्रों को भी जल संचयन के लिए इसकी सीख दी जाती है। जल बचेगा, तभी तो कल बचेगा।

अनिल कुमार, प्रधानाचार्य, आरएन इंटर कालेज

पानी को बर्बाद होता देखकर मन दु:खी होता है। नियम होने के बावजूद जल संचयन के लिए सख्ती नहीं बरती जाती है। इसको अनिवार्य करना होगा।

राजू गुम्बर, सिविल लाइंस

शासकीय बिल्डिंग में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का नहीं लगा होना दुर्भाग्यपूर्ण है। अधिकारियों और विभाग को तो जल संरक्षण में गंभीर होना चाहिए।

समरू रहमान, तारा बिल्डिंग


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