चीनी मिलें चालू होने पर संशय
मुरादाबाद : सस्ती चीनी की दरों ने चीनी मिलों का बंटाधार कर दिया है। बैंकों में बंधक रखी गई चीनी में
मुरादाबाद : सस्ती चीनी की दरों ने चीनी मिलों का बंटाधार कर दिया है। बैंकों में बंधक रखी गई चीनी में पेच फंसने के आसार हैं। उधर गन्ना मूल्य का 50 फीसद भुगतान करने वाली चीनी मिलों के अच्छी खबर नहीं है। उन्हें केंद्र सरकार द्वारा सहायता के रूप में दिए जा रहे कर्ज का लाभ भी नहीं मिलेगा। मंडल में 50 फीसद से कम भुगतान करने वाली एक ही ग्रुप की तीन चीनी मिलें हैं। अगर यही स्थिति बरकरार रही तो पेराई सत्र 2015-16 में मिलें समय से चालू नहीं हो पाएंगी।
मंडल में 21 चीनी मिलें संचालित हैं। जिन पर किसानों का ब्याज समेत कमोबेश 1126 करोड़ रुपये बकाया है। 18 मिलों ने 50 फीसद से अधिक गन्ना मूल्य का भुगतान कर दिया है। बिलारी ने 30.54 फीसद, बेलवाड़ा ने 25.91 फीसद और करीमगंज ने 16.94 फीसद गन्ना मूल्य का भुगतान 30 जून तक किया है। इनके द्वारा किसानों को गुमराह करने का आरोप किसान नेता चौधरी हरपाल सिंह व महक सिंह ने लगाया हैं। अधिकांश मिलें 60 फीसद से अधिक व नजीबाबाद चीनी मिल सौ फीसद भुगतान कर चुकी है।
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छह हजार करोड़ का कर्ज
चीनी मिलों की बदहाली के मद्देनजर केंद्र सरकार ने छह हजार करोड़ रुपये का कर्ज देने का आश्वासन दिया है। शर्त ये है कि सस्ता कर्ज उन चीनी मिलों ही दिया जाएगा जिन्होंने 30 जून, 2015 तक गन्ना मूल्य का 50 फीसद भुगतान कर दिया हो। बिलारी, बेलवाड़ा व करीमगंज ने भुगतान नहीं किया है लिहाजा ये मिलें इस श्रेणी में नहीं आती हैं। यानी इनको सस्ते कर्ज का लाभ भी नहीं मिलेगा। भुगतान के नाम पर यह मिलें किसानों को अभी और तरसा सकती हैं।
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मिलों की हालत में सुधार नहीं
चीनी मिलों की हालत सुधरने का नाम नहीं ले रही है। सूबे की सरकार द्वारा आठ फीसद की छूट देने के बावजूद उनकी हालत नहीं सुधर रही है। रही सही कसर चीनी के दाम कम होने से पूरी हो गई। बैंकों में गिरवी रखी गई चीनी की बिक्री को लेकर बखेड़ा खड़ा हो गया है।
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ये है वर्तमान स्थिति
पेराई सत्र के दौरान बैंकों ने 2800 रुपये प्रति कुंतल के हिसाब से चीनी बंधक रखी थी। अब बाजार में चीनी का दाम लगभग 2380 रुपये कुंतल है। यानी चीनी मिलों को किसानों के भुगतान के लिए और अधिक चीनी बंधक रखना होगी। बैंक चीनी के दामों को लेकर पशोपेश में हैं। अगर यही स्थिति रही तो चीनी मिलें आगामी पेराई सत्र के लिए हाथ खड़े कर सकती हैं।
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बेलवाड़ा, बिलारी व करीमगंज चीनी मिलों का भुगतान केंद्र सरकार द्वारा तय की गई शर्त से कम है। लिहाजा इन मिलों को कर्ज का लाभ मिलने के आसार कम हैं।
राजेश मिश्र, उप गन्ना आयुक्त
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गन्ना मूल्य के भुगतान का प्रयास किया जा रहा है। एक एडवाइज और जारी की गई है जो किसानों के बैंक खातों में पहुंच गई होगी।
गजेंद्र सिंह, महाप्रबंधक अगवानपुर चीनी मिल