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अधूरी सफाई बन जाती पूरी मुसीबत

मुरादाबाद : नगर निगम का भी हाल अजीब है, सफाई न करे तो भी जनता को परेशानी झेलनी है और सफाई करे तो भी

By Edited By: Published: Fri, 22 May 2015 02:48 AM (IST)Updated: Fri, 22 May 2015 04:48 AM (IST)
अधूरी सफाई बन जाती पूरी मुसीबत

मुरादाबाद : नगर निगम का भी हाल अजीब है, सफाई न करे तो भी जनता को परेशानी झेलनी है और सफाई करे तो भी जनता को परेशान होना है। कारण है, सफाई करने में भी केवल औपचारिकता निभाना। नाले नालियों की सफाई के बाद निकाली गई कीचड़ सड़कों पर यूं ही छोड़ दी जाती है, जो लोगों की मुसीबत का कारण बनती है। इस निर्धारित समय पर न उठाये जाने के कारण मुहल्लों का हाल बुरा हो जाता है। पॉश कॉलोनियां भी इससे अछूती नहीं रह पातीं।

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नगर निगम में 1800 कर्मचारी, मशीनें, हाथ की ठेलियां आदि हैं, फिर भी पुराने ढर्रे पर काम करने वाले सफाई कर्मी सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं। सफाई होने के बाद भी कर्मचारी समय से कीचड़ उठाने की सुध नहीं लेते। यह समस्या महानगर के सभी 70 वार्डो में बनी हुई है। हाल ही में हुई नगर निगम कार्यकारिणी की बैठक में नालों से निकली कीचड़ (सिल्ट) 24 घंटे के भीतर उठाने का प्रस्ताव सदस्यों ने रखा था, लेकिन इस पर सफाई निरीक्षकों ने 24 घंटे में कीचड़ गीला होने के कारण नहीं उठ पाने की समस्या बताई। इस पर 48 घंटे में कीचड़ उठाने का प्रस्ताव पास हुआ, लेकिन शायद ही यह फरमान सफाई कर्मियों तक पहुंचाया गया हो। कर्मचारी तीन-तीन लोगों की निगरानी से गुजरते हैं। पहला सफाई नायक, दूसरा सफाई निरीक्षक व तीसरा अधिकारी, लेकिन स्थिति ये है कि सफाई निरीक्षक खुद फील्ड में निरीक्षण करने नहीं निकलते। निकले भी तो उनका फोकस सिर्फ डलावघरों तक रहता है, मुहल्लों में नालियों की सफाई हो भी रही है या नहीं, कीचड़ कब निकाला गया और कब उठाया गया इस पर उनका ध्यान नहीं जाता। इसका सच खुद सूखा पड़ा कीचड़ बताने को तैयार है। इन दिनों महानगर में अतिक्रमण हटाओ अभियान चल रहा है तो वहीं नालों की भी सफाई जारी है, लेकिन कहीं भी 48 घंटे में कीचड़ नहीं उठ रहा है। पिछले दिनों कांठ रोड से सोनकपुर स्टेडियम रोड रामगंगा विहार से अतिक्रमण हटाया गया, जिसका मलवा नालों में भर गया था। पॉश कालोनी के लोगों के रैंप उखाड़े गए, लेकिन मलवा नालियों से साफ नहीं कराया गया। कई दिन बाद नालों से मलवा निकलवाया भी गया तो उसे उठवाने में उतनी ही लापरवाही बरती गई। व्यापारी भी निगम के इस रवैये से परेशान हैं। डिप्टीगंज के दुकानदारों ने तो मजदूर रखकर नालियों का मलवा साफ कराया था।

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चार महीने पहले ही खरीदी गई 400 ठेलियां

सफाई में सुधार के लिए सफाई कर्मचारियों को नई ठेलियां खरीदकर दी गई जिससे कीचड़ व कूड़ा ऐसे मुहल्लों से भी उठ सके जहां गलियां तंग हैं। इन ठेलियों के दिए जाने के बाद भी कीचड़ सप्ताह भर से पहले नहीं उठता। तमाम जगह तो निकालने के बाद उठाना ही भूल जाते हैं।

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फोटो:::900

कीचड़ समय से उठवाने के निर्देश हैं, लेकिन इन दिनों सफाई अभियान में बहुत ज्यादा कीचड़ नालों से निकल रहा है, जिससे संसाधन भी कम पड़ गए हैं। अतिक्रमण हटवाने में भी जेसीबी लग रही हैं लेकिन मुहल्लों में नालियों का कीचड़ अगले दिन नहीं उठाए जाने की समस्या है तो सफाई निरीक्षकों से जवाब लिया जाएगा।

संजय कुमार सिंह, नगर आयुक्त

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लोगों की बातचीत-

नालियों की कीचड़ निकालने के बाद उठाया नहीं जाता। इससे बारिश होने पर कीचड़ फिर नालियों में समा जाता है।

सरन सिंह, दिल्ली रोड

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कीचड़ के कारण घर के आगे गंदगी पसरी रहती है। इससे तो यह कीचड़ नालियों में ही ठीक है। कीचड़ निकालने के बाद उठाने की सुध नहीं ली जाती।

राहुल सिंह, मिलन विहार

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कीचड़ दूसरे दिन उठ जाना चाहिए, लेकिन गर्मी के दिनों में भी कई कई दिन बाद कीचड़ उठता है। हवा से उड़कर मिट्टी घरों तक जाती है।

करन सिंह, काशीराम नगर

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कीचड़ नहीं उठाने से बारिश से फिर सड़क पर कीचड़ फैल जाता है। सफाई कर्मियों को टोकने पर भी फर्क नहीं पड़ता। निजी सफाई कर्मियों से काम कराना पड़ता है।

संजय शर्मा, कटरा नाज

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कीचड़ हाथों हाथ उठाने को लेकर सफाई कर्मियों से नोकझोंक हो जाती है, लेकिन इससे उनकी सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ता। अधिकारियों को ध्यान देना चाहिए।

कौशल कुमार, लाइनपार


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