कुल्हड़ ही पी गए रेलवे अफसर
मुरादाबाद : यात्रियों को रेलवे स्टेशन पर भले ही कुल्हड़ की चाय का मजा नहीं मिल पा रहा हो, लेकिन रेलवे
मुरादाबाद : यात्रियों को रेलवे स्टेशन पर भले ही कुल्हड़ की चाय का मजा नहीं मिल पा रहा हो, लेकिन रेलवे अधिकारियों को जरूर इसमें मजा आ रहा है। कुल्हड़ के स्थान पर सस्ते व घटिया डिस्पोजल गिलासों में चाय देकर हरमाह 34 हजार रुपये से अधिक की हेराफेरी की जा रही है।
वर्ष 2007 में तत्कालीन रेल मंत्री लालूप्रसाद यादव ने बंद हो रहे कुटीर उद्योग को जिंदा रखने के लिए ट्रेनों में डिस्पोजल गिलासों में चाय की बिक्री पर रोक लगाते हुए कुल्हड़ में चाय बेचने का आदेश दिया था। कुछ संशोधन के बाद यह आदेश अभी भी जारी है। केवल डिप वाली चाय तथा कॉफी पेपर डिस्पोजल गिलास में देने का आदेश है। मुरादाबाद रेल मंडल के 20 से अधिक स्टेशनों पर चाय व खाने का सामान बेचा जाता है। मुरादाबाद स्टेशन को छोड़कर खान-पान की व्यवस्था ठेकेदार द्वारा संचालित की जाती है। इन ठेकेदारों द्वारा चाय देने के लिए कुल्हड़ के स्थान पर डिस्पोजल गिलास प्रयोग में लाये जाते हैं। मुरादाबाद में प्लेटफार्म पर रेलवे ने कमीशन वेंडर तैनात कर रखे हैं। रेलवे के रिकॉर्ड के अनुसार केवल चार वेंडरों के पास चाय बेचने का लाइसेंस है। इन चार वेंडरों द्वारा प्रत्येक माह 84 हजार कप चाय बनाकर बेची जाती है। रेलवे चाय बनाने को दूध, चीनी, चाय पत्ती देने के साथ 84 हजार कुल्हड़ भी वेंडरों को दिया जाना रिकॉर्ड में दिखाता है।
रेलवे 45 पैसे प्रति कुल्हड़ की दर से खरीदता है। इस प्रकार प्रत्येक माह 37 हजार आठ सौ रुपये कुल्हड़ पर खर्च किया जाता है, लेकिन वास्तविकता में वेंडरों द्वारा कुल्हड़ के बजाय घटिया डिस्पोजल गिलासों में यात्रियों को चाय दी जाती है। यह गिलास चार हजार दो सौ रुपये में खरीदे जाते हैं। यानी हर माह 34 हजार रुपये की हेराफेरी की जाती है। इसके अलावा डिप वाली चाय के लिए पेपर डिस्पोजल गिलास खरीदने के लिए प्रत्येक माह 84 सौ रुपये खर्च किया जाता है।
लगातार खानपान की जांच कराई जा रही है। नियम के विरुद्ध बिक्री करने वाले वेंडरों के खिलाफ कार्रवाई भी की जाती है। कुल्हड़ में चाय क्यों नहीं दी जा रही है, इसकी जांच करायी जाएगी।
चंद्रिका प्रसाद
सीनियर डीसीएम