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होनहारों को कौन बनाए हुनरमंद?

मुरादाबाद। कौशल विकास को मिशन बताने का दावा करने वाली सरकार के पास राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान

By Edited By: Published: Sat, 25 Oct 2014 01:35 AM (IST)Updated: Sat, 25 Oct 2014 01:35 AM (IST)
होनहारों को कौन बनाए हुनरमंद?

मुरादाबाद। कौशल विकास को मिशन बताने का दावा करने वाली सरकार के पास राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आइटीआइ) में प्रशिक्षण देने वाले प्रशिक्षक ही नहीं हैं। ऐसे में बच्चे कितना औद्योगिक प्रशिक्षण सीख पाएंगे। इससे कौशल विकास के प्रयासों पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

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जिले की दोनों आइटीआइ कांठ रोड स्थित आइटीआइ भवन में संचालित हैं। बिलारी आइटीआइ के संस्थान में ढाई सौ से अधिक बच्चे अध्यनरत हैं। इनको पढ़ाने के लिए सिर्फ दो ही प्रशिक्षक हैं। इसकी इमारत बिलारी में बन रही है। अभी तक बनकर पूरी नहीं हो सकी है। मानकों के मुताबिक 46 ट्रेड में आइटीआइ की जा सकती है। अभी डेढ़ दर्जन आइटीआइ की ट्रेड में नियमित अध्ययन हो रहा है। एक प्रशिक्षक आरएसी (रेफ्रिजरेशन एसी) और दूसरा ड्रेस मेकिंग ट्रेड का है। बाकी एक भी प्रशिक्षक नहीं है। करीब डेढ़ दर्जन से अधिक प्रशिक्षकों की आवश्यकता है। तीस से अधिक प्रशिक्षकों की जरूरत है। एक प्रशिक्षक था, वह काम के दबाव में अपना तबादला कराकर ले गया।

कांठ रोड स्थित राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान में 14 ट्रेडों में करीब 400 से अधिक छात्र हैं। प्रशिक्षकों की संख्या सिर्फ एक दर्जन है और जरूरत तीस प्रशिक्षकों की है। दोनों आइटीआइ में प्रशिक्षक नहीं होने की स्थिति में कटिंग एवं टेलरिंग प्रशिक्षक फैशन डिजाइनिंग के छात्रों को सिखा रहा है। एसी एवं रेफ्रिजरेशन वाला इलेक्ट्रानिक एवं अन्य ट्रेड की शिक्षा दे रहा है। हिंदी आशुलिपि का तो कोई प्रशिक्षक अब है ही नहीं। बाकी अन्य ट्रेडों की सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है।

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इनसेट

प्रमाण पत्र लेने आते हैं छात्र

दोनों ही राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षक संस्थानों में प्रशिक्षक नहीं होने से छात्रों की रुचि कम नहीं हो रही है। प्रवेश परीक्षा के उपरांत आइटीआइ में प्रवेश लेने वाले अधिकांश प्रशिक्षक नहीं होने पर आते ही नहीं है। छात्रों को ट्रेड के मुताबिक प्रशिक्षक नहीं मिलते हैं। तमाम छात्र सिर्फ प्रमाण पत्र लेने के लिए ही आटीआइ में प्रवेश लेते हैं और प्रमाण लेकर अपना काम चलाते हैं।

शासकीय प्रशिक्षण भी संस्थान में

केंद्रीय एवं राज्य सरकार के शासकीय प्रशिक्षण भी आइटीआइ में होते हैं। प्रशिक्षकों के अभाव में सीखने के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति होती और अवधि समाप्त होने पर सिर्फ प्रमाण पत्र जारी कर दिए जाते हैं।


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