पेटी ठेकेदारों ने कर दिया बेड़ा गर्क
मुरादाबाद : मुनाफा कमाने के चक्कर में एलएंडटी के अफसरों ने महानगर के लोगों की सुरक्षा को ही ताक पर रख दिया। सौ-सौ मीटर लाइन बनाने का काम छोटे-छोटे ठेकेदारों को दे दिया गया। जल निगम के अफसरों ने इस काम की मानीटरिंग तक बंद कर दी। अफसरों की लापरवाही का आलम रहा कि शनिवार को हुए हादसे के बाद अफसर आए तो लेकिन किसी के पास सीवर लाइन का नक्शा तक नहीं था। सेना के अफसर भी नक्शा मांगते रहे लेकिन नहीं मिला। आखिरकार अपने ढंग से ही सेना को रेस्क्यू आपरेशन शुरू करना पड़ा।
पूरे महानगर में जल निगम के जरिए एलएंडटी कंपनी को सीवर लाइन का काम करना है। कंपनी ने इतने बड़े काम में छोटे ठेकेदारों की एंट्री कर दी। इससे स्थानीय नेताओं से लेकर अफसरों को खुश करने में भी कंपनी को कोई दिक्कत नहीं हुई। कंपनी ने इन ठेकेदारों को हैसियत के हिसाब से काम दे दिया। जबकि मैनहोल पर कनेक्टिविटी का काम कंपनी ने अपने हाथ में रखा। इसी के चलते महानगर में सीवर लाइन के लिए खोदाई में पूरी तरह मानकों को दरकिनार कर दिया गया। छोटे ठेकेदारों के पास इतने संसाधन नहीं थे कि वे इन मानकों को पूरा करते। छोटे ठेकेदारों ने अपने-अपने हिस्से का काम सुविधा के अनुसार निपटा दिया। सीवर लाइन पर मिट्टी ढककर छोड़ दी गई। मैनहोल को सीवर लाइन से कनेक्ट करने का काम करने में भी कंपनी ने मनमानी दिखाई। इसी का परिणाम रहा कि इंद्रा चौक पर कनेक्टिविटी का जो काम हाथोंहाथ हो जाना चाहिए। वहां पर 'मौत का मुहाना' बस मामूली तिरपाल ढककर छोड़ दिया गया।
एलएंडटी व जल निगम के अफसर तो हादसे के बाद भी नहीं जागे। रविवार सुबह प्रशासनिक अधिकारियों ने एलएंडटी व जल निगम के अफसरों से डूबने वालों के बहने की आशंका के बारे में पूछा तो कोई जवाब तक नहीं दे सका। सेना की टीम पहुंची तो कर्नल ने सबसे पहले सीवर का नक्शा मांगा। अफसरों के पास नक्शा भी नहीं था। इसके बाद सेना ने संभावनाओं के आधार पर राहत कार्य शुरू किए। पूरी रात प्रशासन का आपरेशन भी खुद के आकलन पर चलता रहा। एक तरह से रातभर प्रशासन रोडमैप के अभाव में बस अंधेरे में ही तीर चलाता रहा।