किराये के मैदान में खेल
मुरादाबाद : एक तरफ खेलों को लेकर सरकारी उदासीनता खिलाडि़यों पर भारी है तो दूसरी तरफ इंटर कालेजों से खिलाड़ी नाम मात्र के ही निकल पा रहे हैं। महानगर के तमाम स्कूल ऐसे हैं जहां खेल मैदान ही नहीं हैं। वे किराये का मैदान लेकर खेलों की औपचारिकता पूरी कराते हैं।
खेल को लेकर महानगर के कुछ स्कूलों का जब भ्रमण किया गया तो सच्चाई सामने आई। महानगर का पारकर इंटर कालेज। सबसे पुराना कालेज। पढ़ाई में आगे रहने के दावे। पर खेल मैदान देखिए, फुटबाल का एक गोल पोस्ट ही नदारद मिला। पूरे ग्राउंड पर गंदगी फैली थी। खेल के बजाय यहां टेंट बिछाने का कार्य होता दिखाई दिया।
आरएन इंटर कालेज पीली कोठी। यहां खेल मैदान ही नहीं है। ऐसे में खेल की बात करना बेमानी होगा। गर्ल्स कालेजों की स्थिति तो और भी खराब है। राजकला कन्या इंटर कालेज, प्रभा देवी गर्ल्स इंटर कालेज, कौशल्या इंटर कालेज, बल्देव कन्या इंटर कालेज ऐसे हैं जहां खेल मैदान नहीं हैं। बल्देव कन्या इंटर कालेज की प्रधानाचार्य डॉ. नीति कहती हैं खेल के लिए हमें पीटीसी या पीएसी के खेल मैदान को लेना पड़ता है। यहां जगह है लेकिन इतनी नहीं कि खेल कराया जा सके। इस स्कूल में तेरह सौ छात्राएं अध्ययनरत हैं और खेल के लिए 13 की भी टीम नहीं मिलेगी। डीआइओएस श्रवण कुमार यादव कहते हैं कि ऐसा नहीं है खेल गतिविधियां पूरी तरह संचालित नहीं हैं। इसके लिए स्कूलों में खेल शिक्षक भी तैनात हैं। फिर भी यदि किसी स्कूल में खेल नहीं हो रहे हैं तो इसकी जांच कराई जाएगी।
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स्कूल गंभीर हों तो मिलेंगे खिलाड़ी
यदि इंटर कालेजों में खेल गतिविधियां बढ़ जाएं तो हमें खिलाड़ियों के तरसना नहीं पड़ेगा। मंडल मुख्यालय है और एक प्रशिक्षण में 20 से 30 खिलाड़ी हैं। जबकि यह संख्या सौ होनी चाहिए। प्रधानाचार्यो को इसे लेकर गंभीरता दिखानी चाहिए।
राजेश कुमार सिंह, आरएसओ
इनसेट..
गतिविधियां पूरी तरह ठप
इससे इतर तमाम स्कूल ऐसे भी हैं जहां खेल टीचर नहीं हैं। इन स्कूलों में गोविंद बल्लभ इंटर कालेज, सार्वजनिक छतरपुर नायक के अलावा जिले के वित्त विहीन इंटर कालेज भी इसमें शामिल हैं। इन स्कूलों में खेल टीचर न होने के कारण खेल की गतिविधि पूरी तरह ठप हो चुकी है।
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इनसेट..साल में एक बार खेलों का मौसम
शासन के निर्देश पर साल में एक बार यानी अगस्त और सितंबर में खेल आयोजन होता है। जिन स्कूलों में ग्राउंड है वहां कई स्कूलों के खिलाड़ियों की टीम आती है। मंडल में कुछ खिलाड़ी चयनित होते हैं और बाकी वापस चले जाते हैं। चयनित होने वाले खिलाड़ी कुल छात्र संख्या का एक फीसद भी नहीं होते हैं।