इंद्रदेव प्रसन्न, अन्नदाता खिन्न
रईस शेख, मुरादाबाद।
मौसम में अचानक आए बदलाव का असर फसलों पर पड़ा है। हल्की बूंदाबांदी और मौसम में आई नमी से खेत में कटे पड़े गेहूं का दाना काला पड़ने के साथ ही थ्रेसिंग का काम रुक गया है। कृषि वैज्ञानिकों ने भी बेमौसम बरसात व नमी को गेहूं की फसल को प्रभावित करने वाला बताया है।
रबी की मुख्य फसल गेहूं की कटाई का काम तेजी से चल रहा है। लेकिन मौसम में आई तब्दीली से गेहूं की कटाई के साथ थ्रेसिंग का काम भी रुक गया है। पूर्व प्रधान इरशाद अली-गोट, प्रधान देवेंद्र सिंह- लालपुर तीतरी व प्रधान मुहम्मद अहमद- मातीपुर उर्फ मैनी का कहना है कि मौसम की तब्दीली का असर फसलों पर पड़ा है। जनपद में कमोबेश डेढ़ लाख हेक्टेयर में रबी की फसल होती है। इसमें मटर सरसों, चना, मसूर आदि फसलें किसानों के घर में पहुंच चुकी हैं। मुख्य फसल गेहूं की कटाई व थ्रेसिंग का काम चल रहा है। लगभग 50 फीसद फसल अभी बाकी है, मौसम बदलने से खेत में खड़ी और कटी फसल को नुकसान पहुंचा है। कटी फसल का दाना काला पड़ने के भी आसार हैं।
दस फीसद नुकसान
मार्च व अप्रैल में बेमौसम बरसात होने से गेहूं की फसल में पांच से दस फीसद तक नुकसान हुआ है। मार्च में हुई बरसात और तेज हवाओं से खेतों में खड़ी फसल गिर गई। जबकि बीते दिनों मौसम में आए परिवर्तन से दाना काला पड़ने के आसार हैं।
मौसम में आई तब्दीली से गेहूं की फसल को नुकसान के अलावा कटाई व थ्रेसिंग कार्य में रुकावट आई है।
-यशराज सिंह, जिला कृषि अधिकारी
ऐसे हुआ नुकसान
कृषि वैज्ञानिक डा. बलराज सिंह व डा. एके मिश्रा के मुताबिक गेहूं का तना नाजुक होता है। बरसात के साथ तेज हवाएं चलने से गेहूं का पौधा लचक कर गिर जाता है। गेहूं का दाना पतला, कमजोर और काला पड़ जाता है। गिरी हुई फसल में 50 फीसद से अधिक नुकसान होने का अनुमान है।
गेहूं की गिरी फसल का भूसा भी पशुओं के खाने योग्य नहीं रहता। किसान ऐसे भूसे को धोने के बाद ही पशुओं को खिलाएं।
-डा. एसके गुप्ता, पशु चिकित्सा अधिकारी