जीवनरक्षक नहीं, ये दवा तो जानलेवा
प्रदीप चौरसिया, मुरादाबाद।
कहते हैं अति किसी चीज की अच्छी नहीं होती। ज्यादा मात्रा में दवा भी जहर हो जाती है। गंभीर रोगों में संजीवनी कही जाने वाली 'बीथसोन' की गोली जानलेवा भी हो सकती है, अगर इसमें साल्ट निर्धारित से ज्यादा मात्रा में मिला हो। गंभीर बात ये कि ऐसी गोलियां बाजार में धड़ल्ले से बिक रही हैं, जिनमें निर्धारित से 166 फीसद ज्यादा साल्ट है। लैब में इस दवा के नमूने फेल होने के बाद इसकी बिक्री पर रोक लगाने की तैयारी है।
ड्रग विभाग की टीम ने 28 नवंबर को महानगर की विभिन्न दवा दुकानों से दवा के नमूने लिए थे। काजी की सराय स्थित सुमन इंटर प्राइजेज से मोदी लाइफ केयर इंडस्ट्रीज की 'बीथसोन' नामक गोली के दो नमूने लिए। दोनों की बैच संख्या अलग-अलग है। टीम ने जांच को दवा राजकीय जन विश्लेषण प्रयोगशाला लखनऊ भेजी थी। जांच रिपोर्ट एक अप्रैल को ड्रग विभाग को मिली है। इसके मुताबिक बैच संख्या 13085 निर्माण तारीख 8-2013 बीथसोन की गोली में बीथामिथासोन नामक साल्ट 0.5 मिलीग्राम के स्थान पर 0.1553 ग्राम पाया गया, जो मानक से 166 प्रतिशत ज्यादा है। इसके सेवन से रोगी के शरीर में सूजन आ सकती है या पानी भर सकता है। किडनी खराब हो सकती है। यहां तक की रोगी की मौत भी हो सकती है।
इसी कंपनी की बीथसोन बैच संख्या 130129 तारीख 8-2013, जांच में मिस ब्रांडेड मिली। दवा के रैपर पर साल्ट का नाम, मात्रा व एक्सपायरी तारीख नहीं लिखी थी। दवा में साल्ट की मात्रा नहीं लिखने से इसका सेवन जानलेवा सकता है। सूत्रों के मुताबिक दवा कंपनियां साल्ट मिलाने के लिए विशेषज्ञ नहीं रखती। इसलिए मिस ब्रांडेड दवाओं के मामले बढ़ रहे हैं। उत्तर प्रदेश के ड्रग कंट्रोलर एएल आर्या ने ड्रग कंट्रोलर गुजरात को पत्र भेजकर मोदी लाइफ केयर इंडस्ट्रीज की दोनों बैच की दवाओं की सीज करने को कहा है। ड्रग इंस्पेक्टर अमित बंसल ने बताया कि जांच रिपोर्ट मिलने के बाद दवा विक्रेता और दवा कंपनी को नोटिस भेजा गया है। नोटिस का जवाब मिलने के बाद ड्रग एक्ट के तहत कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
एकाएक सांस फूलने, दम घुटने और अन्य गंभीर रोगों में बीथसोन टैबलेट दी जाती है। इस दवा से शरीर में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, जिससे रोगी की हालत में सुधार होने लगता है। इस दवा में शामिल बीथामिथासोन साल्ट निश्चित मात्रा तक दिया जाता है, उसके अधिक मात्रा में देने पर रोगी के लिए जानलेवा हो सकता है।
डा. एके गुप्ता, वरिष्ठ फिजीशियन