करते रहे आका की हरी झंडी का इंतजार
मुरादाबाद। दिनभर मंथन, कार्रवाई सिर्फ लाइनहाजिर। इंस्पेक्टर पर कृपा बरतने वाले अफसरों को इसके लिए भी अपने लखनऊ के आकाओं की हरी झंडी लेनी पड़ी। रात में अफसरों ने घटना को नजरअंदाज क्यों किया? तहरीर लेने के बाद महिला थाना पुलिस ने रिपोर्ट क्यों दर्ज नहीं की? मेडिकल क्यो नहीं कराया? इसपर अफसरों ने चुप्पी साध ली है।
इंस्पेक्टर मझोला की सत्ताधारी नेताओं से निकटता होने की वजह से पुलिस अधिकारी क्राइम का पारा हाई होने के बाद भी उनके खिलाफ सख्त रुख नहीं अपना रहे थे। एक माह के अंतराल हत्या, लूट, अपहरण जैसी तमाम वारदातें मझोला थाने में घटित हुईं हैं पर अफसरों ने उनके खुलासे के लिए खास प्रयास नहीं किए। बीती रात इंस्पेक्टर मझोला के डाक्टर दंपती को पीटने के जब पुलिस अधिकारियों को इसकी जानकारी मिली, तो उन्होंने चुप्पी साध ली। इसके पीछे कुछ और नहीं सत्ताधारी नेता के कारण अफसरों के हाथ भी बंधे थे।
सूत्रों का कहना है कि सुबह डाक्टरों के आंदोलनात्मक रुख अपनाने की जानकारी मिलने के बाद पुलिस अधिकारियों ने लखनऊ अपने आकाओं से बात की,उन्हें पूरे घटनाक्रम से अवगत कराया। शाम को फिर डाक्टरों ने बैठक की,इसका अपडेट भी लखनऊ स्तर पर दिया गया। डाक्टरों के सड़कों पर आने और उनका आंदोलन राज्य स्तर तक फैलने की आशंका पर आकाओं ने इंस्पेक्टर के सिर्फ लाइनहाजिर करने की ही अनुमति दी। जबकि एक पुलिस अधिकारी उन्हें निलंबित करने के भी पक्ष में थे। सत्ता के दबाव के वजह से ही अधिकारी पुलिस की अन्य लापरवाही पर कार्रवाई नहीं कर सके।
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