गर्मी के तेवर लगातार कड़े, हाल बेहाल
जागरण संवाददाता, मीरजापुर : दिन व दिन बढ़ रही गर्मी, भारी उमस व चमड़ी झुलसा देने वाली लू से जनजीवन
जागरण संवाददाता, मीरजापुर : दिन व दिन बढ़ रही गर्मी, भारी उमस व चमड़ी झुलसा देने वाली लू से जनजीवन व्याकुल हो उठा है। दिन तो दिन अब रात में भी भारी उमस से पसीना बह रहा है। आम जनमानस को पल- पल का समय काटना मुश्किल हो रहा है। सोमवार को गर्मी का अधिकतम पारा 45.5 डिग्री सेग्रे व न्यूनतम पारा 29.5 सेग्रे रहा।
तीन दिन पहले दिन में बढ़ते तापमान से लोग परेशान थे, लेकिन रात में मौसम ठंडा हो जाता था। जब से उमस ने पांव पसारा तब से रात में भी लोगों को चैन नहीं मिल रही है। हवा थमते ही हर कोई पसीने से तर बतर हो जाता है। ऐसे में लोगों का दिन का चैन व रात की नींद गायब हो जा रही है। इसका लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। सूर्योदय के साथ ही धूप मिर्ची की तरह तीखी लग रही है। सुबह आठ बजे के बाद बाहर निकलना मुश्किल हो रहा है। जिसको बाहर निकलना मजबूरी है, वे सिर मुंह ढक कर बाहर निकल रहे हैं। दिन में सड़कों पर सन्नाटा पसर जा रहा है। उमस का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पंखा व कूलर फीका पड़ जा रहे हैं। सूर्यास्त के बाद दस बजे रात तक गर्म हवाएं चल रही है।अघोषित कटौती से मुसीबत:
प्रचंड गर्मी में बिजली की कटौती आग में घी का काम कर रही है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर कुछ दिनों तक बिजली आपूर्ति में मामूली परिवर्तन देखने को मिला, लेकिन अब फिर पुराने ढर्रे पर बिजली आपूर्ति हो रही है। शहर में 24 घंटे की बजाय 12 से 18 घंटे व देहात में 18 घंटे की जगह महज सात आठ घंटे बिजली मिल रही है। मच्छरों के प्रकोप से मजबूरी में लोग उठ कर टहलने लगते हैं।
चुनार : सोमवार का दिन भी भीषण गर्मी के नाम रहा, सूरज की पहली किरण के साथ शुरू हुई गर्मी दोपहर होते ही चरम पर पहुंच गई। जो लोग घर से शहर निकल आए वह भी गर्मी के प्रकोप को देखते ही समय रहते बाजार का काम अधूरा छोड़ कर घर को वापस लौट गए। यह गर्मी दैनिक मजदूरी करने वाले श्रमिकों पर भारी पड़ रही है। भवन निर्माण का काम करने वाले कामगार जो बड़ी संख्या में रोजी रोटी तलाशने आते थे। रेलवे स्टेशन पर आम दिनों की अपेक्षा कम भीड़ देखी गई। वहीं दोपहर में बस स्टैंड छांव की व्यवस्था न होने के कारण लोग धूप में ही साधनों का इंतजाम करते दिखाई दिए। गर्मी के प्रकोप से आम जनजीवन तो बेहाल रहा, इसके साथ ही पशु-पक्षी भी बेहाल रहे।