कागज पर योजनाएं,बेरोजगारों की फौज
जागरण संवाददाता, मीरजापुर: बात करें मनरेगा, राष्ट्रीय आजीविका मिशन, शहरी आजीविका मिशन, प्रधानमंत्
जागरण संवाददाता, मीरजापुर:
बात करें मनरेगा, राष्ट्रीय आजीविका मिशन, शहरी आजीविका मिशन, प्रधानमंत्री ग्रामोद्योग रोजगार योजना, मुख्यमंत्री रोजगार योजना की तो हर साल दस हजार से अधिक लोगों को रोजगार का दावा किया जाता है लेकिन बेरोजगारी खत्म नहीं हो रही है। इन योजनाओं में एक अरब से अधिक का धन भी मिलता है।
आंकड़ों पर गौर करें तो पांच साल में पांच अरब से अधिक धन खर्च हो गया। पचीस हजार परिवारों को रोजगार भी दे दिया गया फिर भी न तो बेरोजगारों की फौज कम हुई और न ही गरीबी दूर हुई। सब कुछ कागज पर हजम हो गया है।
मनरेगा में घोटाले की सीबीआई जांच कर रही है। योजना का पचास फीसद लाभ भी गरीबों को नहीं मिल पाया। सिटी विकास खंड के जलालपुर मुसहर बस्ती वर्तमान में लोहिया गांव भी है। यहां योजनाओं की जानकारी गांव निवासी रामदेव,कल्लन को नहीं है। सीमा देवी का कहना है कि दोना पत्तल न बनाएं त भोजन न नसीब होई। इस बस्ती में त कोई योजना आई ही नहीं।
-क्या हो उपाय
बेरोजगारों को डेयरी, फल संरक्षण सहित अन्य योजनाओं से जोड़ा जाए। ऋण उसी को दिया जाए जो पात्र हो अथवा कारोबार को चला सके। जो लोग रोजगार के लिए ऋण लें उसका संचालन करें। योजनाओं की मानीट¨रग की जाए। उद्योग न चलाने वालों पर सख्ती की जाए।
योजनाओं की होती है मानीट¨रग:
मुख्य विकास अधिकारी प्रियंका निरंजन ने कहा योजनाओं की मानीट¨रग की जाती है। निर्देश भी है कि जो लोग ऋण लेकर डकार जा रहे हैं उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। जांच होती भी है। ग्रामोद्योग विभाग से ऋण लेकर रोजगार न चलाने वाले पचास लोगों के खिलाफ आरसी जारी की गई है। जांच चल रही है।