असलहा लाइसेंस के लिए रगड़ रहे एड़ियां
मीरजापुर : जिले में असलहों के लगभग एक हजार आवेदन पत्र विभिन्न स्तरों पर लंबित हैं। लोगों ने प्रदेश सरकार के मंत्रियों, सांसदों व विधायकों के पत्र को भी संलग्न कर रखा है। इसके बाद भी लाइसेंस निर्गत नहीं हो पा रहा है। आवेदक जिला मुख्यालय का चक्कर काट रहे हैं।
लाइसेंस के लिए तहसील व पुलिस आफिस से होकर फाइलें जिलाधिकारी के कार्यालय में पहुंचती हैं। डीएम की मुहर लगने के बाद लाइसेंस जारी कर दिया जाता है। आरोप है कि शासन के आदेश के बाद भी असलहों का लाइसेंस जारी करने में हीलाहवाली की जा रही है।
माह भर पहले प्रदेश के मुख्यमंत्री ने एक आदेश जारी कर जिलाधिकारियों को लाइसेंस निर्गत करने में कंजूसी न बरतने का निर्देश दिया था। सीएम ने कहा था कि अधिक से अधिक असलहे देने से कानून व्यवस्था बिगड़ने नहीं पाएगा। लोग अपनी सुरक्षा खुद कर सकेंगे। आरोप है कि सामान्य व्यक्ति के नाम से असलहा आसानी से जारी नहीं हो पाता है। आदेश का अनुपालन नहीं किया जा रहा है।
रिपोर्ट लगवाने में बेलने पड़ते हैं पापड़
आवेदन के बाद एक प्रति फाइल एसपी कार्यालय से होकर संबंधित थाने पर भेज दी जाती है। दूसरी प्रति तहसील को भेज दी जाता है। आरोप है कि थाने पर भी चरित्र प्रमाण पत्र जारी करने में एड़ी चोटी एक करनी पड़ रही है। उसमें भी सत्तादल के नेताओं का दबाव पड़ता है, तब जाकर फाइल आगे बढ़ती है। वहां से सीओ उसके बाद एसपी कार्यालय में पत्रावली पहुंचती है। इस दौरान महीनों लग जाता है। तहसीलों में भी काफी पापड़ बेलने पड़ रहे हैं। दोनों जगहों से मामला जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचता है। वहां पर भी सत्तादल के नेताओं का दबाव लगवाना पड़ता है। जो लोग इस काम में सफल हो जाते हैं उन्हें ही असलहे का लाइसेंस मिल जाता है। सूत्रों के मुताबिक आवेदन पर रिपोर्ट लगते लगते छह माह से ज्यादा का समय लग जाता है। उन्हें दोबारा पुलिस सत्यापन करवाना पड़ता है। सामान्य व्यक्ति को असलहा का लाइसेंस नहीं मिल पाता है। कई व्यापारी भी लाइसेंस के लिए आवेदन कर रखे हैं उन्हें भी लाइसेंस के लिए नाकों चने चबाने पड़ रहे हैं।
नियमानुसार हो रही कार्रवाई
इस संबंध में आयुध प्रभारी नगर मजिस्ट्रेट गुलाब राम का कहना है कि पुलिस व एसडीएम की रिपोर्ट का परीक्षण करने के बाद लाइसेंस जारी किया जाता है।