अधूरी पेयजल परियोजना की मांगी रिपोर्ट
मीरजापुर: नगरीय क्षेत्र में पेयजल संकट के समाधान के लिए एक अरब की योजना बनाकर भारत सरकार को तीन साल पहले भेजी गयी थी। यह योजना भौतिकता के धरातल पर नहीं उतर पायी है। जनप्रतिनिधियों की शिकायत पर प्रमुख सचिव ने नये सिरे से रिपोर्ट तलब की है।
ग्रामीण व शहरी इलाकों में लोगों को शुद्ध पानी तक नसीब नहीं हो पा रहा है। 23 हजार हैंडपंपों में करीब सात हजार हैंडपंप खराब पड़े हैं। पाइप में मानक की अनदेखी किये जाने से स्थिति और खराब हो गयी है। हैंडपंप लगते हैं और साल भर के अंदर खराब हो जाते हैं। लाखों का बजट हर साल खर्च होता है, इसके बाद भी पठारी इलाकों में पानी का संकट बना रहता है। सूत्रों के मुताबिक 21 जुलाई को मुख्य सचिव आलोक रंजन ने विकास कार्य की समीक्षा के दौरान इस तरह की गड़बड़ी पर नाराजगी जतायी है। उन्होंने जल निगम के एक्सईएन से साल भर के अंदर खराब पड़े हैंडपंपों की सूची मांगी है। कहा है कि ऐसे जगहों पर हैंडपंप न लगाये जाय जहां पर भू-गर्भ जलस्तर न के बराबर हो। उन्होंने सीडीओ को जांच का भी आदेश दिया था। कमोवेश यही स्थिति नगरपालिका क्षेत्रों की है। जर्जर पाइपों के सहारे पानी की आपूर्ति हो रही है। लीकेज पाइप से कीड़े निकल रहे हैं। उसके सेवन से लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। नगर के तेलियागंज, मुकेरी बाजार, घंटाघर, गिरधर चौराहा, पक्की सराय आदि मोहल्लों में लीकेज पाइप लाइन को बदलने के लिए दो साल पहले एक करोड़ की योजना बनायी गयी थी। आज तक उस पर बजट नहीं मिल सका है। वर्ष 1914 में पाइप बिछाई गयी थी। उसके बाद से पाइप कभी बदली नहीं जा सकी है। नगर के शास्त्री सेतु के पास गंगा में लिफ्ट स्थापित कर पाइप से पानी की आपूर्ति की योजना थी। नगर की अधूरी परियोजनाओं पर प्रमुख सचिव नवतेज सिंह ने भी नाराजगी जतायी है।