प्रमुख सचिव ने तलब की पौधरोपण की रिपोर्ट
मीरजापुर : मनरेगा हो या कोई अन्य योजना पर्यावरण संरक्षण एवं धरती पर हरियाली के लिए हर साल वन विभाग, ग्राम पंचायत व अन्य विभागों द्वारा लाखों का बजट खर्च कर पौधरोपण करवाया जाता है लेकिन रोपण के माह भर बाद 60 फीसदी पौधे दम तोड़ देते हैं। जनप्रतिनिधियों की शिकायत पर प्रमुख सचिव नवतेज सिंह ने गुरुवार को पौधरोपण की रिपोर्ट तलब की है। कहा है कि स्थलीय निरीक्षण कर शासन को रिपोर्ट दी जाय।
सूत्रों के मुताबिक मनरेगा में पौधों के रखरखाव के लिए भी बजट स्वीकृत किया जाता है लेकिन कागज पर ही धन का बंदरबांट कर लिया जाता है। पोल तो तब खुलती है जब जांच शुरू होती है। नेशनल मानीटर संजय दीक्षित दो साल पहले सिटी विकास खंड के भागदेवल गांव में जाकर पौधरोपण का सत्यापन किया था तो उस दौरान भी 25 फीसद पौधे जिंदा मिले थे।
गांववालों ने बताया कि पौधरोपण के बाद पौधों की न तो सिंचाई कराई गई और न ही सुरक्षा का प्रबंध किया गया है। नेशनल मानीटर ने इस बात को स्वीकार किया है कि यदि पौधों की सिंचाई और रखरखाव किया गया होता तो 90 फीसदी पौधे जिंदा रहते। उन्होंने जिलाधिकारी से भी कहा था कि पौधों का सत्यापन करवाकर ही रखरखाव मद के बजट का भुगतान किया जाय।
नेशनल मानीटर ने इस बात को स्वीकार किया है कि पौधरोपण के नाम पर भारी गड़बड़ी की गई है। रखरखाव के अभाव में पौधे सूख गए। आरोप तो यह भी है कि पौधों के गुणवत्ता पर ध्यान नहीं दिया गया। औने पौने दाम पर पौधे खरीदकर रोपण करवा दिया गया। वन विभाग के कार्यो की जांच बैठाई गई है। नेशनल मानीटर ने कहा कि पौधरोपण में भारी गड़बड़ी की गई है।
70 लाख से ज्यादा का बजट मिला है। सभी जगहों पर कराए गए पौधरोपण की जांच कराई जाएगी लेकिन जांच फाइलों में दब गई। प्रमुख सचिव द्वारा इसे संज्ञान में लिए जाने के बाद एक बार फिर मामला गरमा गया है।