बारिश ने बढ़ाई मुसीबत
चुनार (मीरजापुर) : शुक्रवार को बाढ़ का पानी घटने से लोगों को फौरी तौर पर राहत तो मिली लेकिन दोपहर में हुई झमाझम वर्षा ने लोगों की मुश्किलें और बढ़ा दी। खुले आसमान के नीचे डेरा डाले लोगों की दुश्वारियां बारिश ने बढ़ा दी। जो लोग बाढ़ का पानी हटने से अपने घरों को दुरुस्त करने का प्रयास कर रहे थे बरसात से उन्हें काफी परेशानी झेलनी पड़ी। अभी भी नगर के बाढ़ राहत केंद्रों पर लोगों ने शरण ले रखी है। जिन क्षेत्रों में पानी कम हो रहा है वहां सड़ांध से लोगों का जीना मुहाल हो गया है। यहां तत्काल दवाइयों के छिड़काव की आवश्यकता है।
लंच पैकेट वितरित
शुक्रवार को सपानेता गिरधारी सिंह, सांसद प्रतिनिधि सुभाष सिंह, तहसीलदार सत्येंद्र सिंह, नायब तहसीलदार आरके सिंह ने पुराना स्टेट बैंक परिसर, लाइब्रेरी क्लब, मिडिल स्कूल, रामलीला मैदान स्थित राहत शिविरों तथा सरायं, लाल दरवाजा आदि मुहल्लों में पहुंच कर 700 लंच पैकेट वितरित किए। साथ में संतोष यादव, निजाम भाई, बनारसी साव, अखिलेश सिंह, मंगला सिंह, विभूति यादव आदि थे।
सीखड़ प्रतिनिधि के अनुसार सामाजिक संगठनों ने बाढ़ पीड़ितों को 3000 लंच पैकेट वितरित किए। बगहां निवासी कृष्ण कुमार सिंह ने खैरा, बगहां, हांसीपुर, सेमरा, टकटकपुर में 2000 लंच पैकेट, माचिस, मोमबत्ती, खैनी-चूना भी वितरित किया। उनके साथ ज्ञानधर शुक्ल, बचनू सिंह, नरेंद्र सिंह, शैलेंद्र सिंह, गोली गुरु, धन्नू राजभर, मजनू, रवि सिंह आदि थे।
व्यापार मंडल कछवां बाजार द्वारा अजय उपाध्याय के नेतृत्व में पाहों, खैरा, बगहां, मगरहां, खानपुर में 1000 लंच पैकेट वितरित किए गए। उनके साथ सर्वेश सिंह, बृजेश गुप्ता, उमानाथ सिंह, दास गुप्ता, अरुण गुप्ता, अरुण गुप्ता, श्यामजी, रिंकू सरदार आदि थे।
कोटेदारों पर प्रशासन के निर्देश का कोई असर नहीं
बाढ़ पीड़ितों के लिए जिलाधिकारी द्वारा भोजन का प्रबंध करने के लिए कोटेदारों को निर्देशित किया था। कहा गया था कि प्राथमिक विद्यालयों से मिड-डे-मील का बर्तन लेकर कोटेदार अपने गांवों में बाढ़ पीड़ितों के लिए लंच पैकेट तैयार करा कर उन्हें बांटे लेकिन कोटेदारों पर इस निर्देश का कोई प्रभाव नहीं दिखाई दिया। ईश्वरपट्टी गांव की हरिजन एवं मलहिया बस्ती में प्रशासन द्वारा लंच पैकेट वितरण किया गया।
कुएं से निकल रही गैस
पंचराव निवासी प्रमोद कुमार सिंह, कैलाश सिंह व वीरेंद्र सिंह के कुंओं से जहरीली गैस निकल रही है। ग्रामीणों ने कुंओं में पानी डालकर गैस का प्रभाव कम करने का प्रयास किया लेकिन सफलता नहीं मिली।
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